खनन के लिए डीईआईएए से मंजूरी जरूरी

ऊना —  उपायुक्त विकास लाबरू ने बताया कि जिला में पांच हेक्टेयर या इससे कम लघु खनिजों के खनन के लिए पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम-1986 के अंतर्गत पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी एक अधिसूचना के तहत गठित जिला स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण (डीईआईएए) से पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी लेना आवश्यक है। उपायुक्त गुरुवार को जिला स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण (डीईआईएए) तथा जिला स्तरीय विशेषज्ञ आंकन समिति (डीईएसी) की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उपायुक्त विकास लाबरू ने बताया कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम-1986 के तहत जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जिला स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण (डीईआईएए) का गठन किया गया है, जिसमें संबंधित जिला के मुख्यालय स्थित एसडीएम को इसका सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है। इसके अलावा समिति में जिला के वरिष्ठतम वन मंडलाधिकारी तथा एक विशेषज्ञ को भी प्राधिकरण का सदस्य नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि जिला में प्राधिकरण की सहायता के लिए सरकार ने 11 सदस्यीय जिला स्तरीय विशेषज्ञ आंकन समिति (डीईएसी) का भी गठन किया गया है, जिसमें जिला के आईपीएच विभाग के वरिष्ठतम अधिशासी अभियंता को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जिला के खनन अधिकारी को बतौर सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है। इसके अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारियों को बतौर सदस्य नियुक्त किया गया है। विकास लाबरू ने बताया कि जिला स्तर पर लघु खनिजों के खनन हेतु मंजूरी दिए जाने वाली प्रक्रिया में पूरी कार्य कुशलता, पारदर्शिता व जबावदेही सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया को अपनाया गया है।

पूर्व पर्यावरण प्रस्तावकों पर लगेगा शुल्क

उपायुक्त ने सभी अधिकारियों को जिला में लघु खनिज खनन के लिए प्रस्तावक द्वारा ऑनलाइन पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी के लिए प्रस्तुत आवेदनों के बारे सरकार द्वारा अधिसूचित नियमों के तहत सख्ती से कार्य करने की हिदायत दी। इसके अलावा बैठक में पूर्व पर्यावरण मंजूरी के लिए आवेदन करने वाले प्रस्तावकों पर शुल्क लगाने का भी निर्णय लिया गया।