जनजातीय लोगों का सहारा, खुद बेसहारा

धर्मशाला  —  हिमाचल प्रदेश में लाखों की संख्या में रहने वाले जनजातीय लोगों की सुविधा के लिए धर्मशाला में बनाया गया आवास खुद ही बेसहारा बनकर रह गया है। करोड़ों रुपए के भवन का एक दशक के बाद उद्घाटन किया गया है। बावजूद इसके उद्घाटन के एक साल बाद भी करोड़ों का तीन मंजिला भवन मात्र सफेद हाथी बनकर रह गया है। जनजातीय आवास दाड़ी धर्मशाला के लिए एक साल बाद भी कमेटी का गठन नहीं किया गया है। इतना ही नहीं , प्रदेश भर से आने वाले जनजातीय सहित अन्य लोगों को रात्रि ठहराव के लिए अभी तक उचित बेडिंग की ही व्यवस्था नहीं हो पाई है।  जनजातीय आवास दाड़ी धर्मशाला का शिलान्यास आठ सितंबर, 2007 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, सांसद चंद्र कुमार चौधरी एवं स्थानीय विधायक चंद्रेश कुमारी द्वारा किया गया था। इसके बाद तीन मंजिला जनजातीय भवन को बनाने के लिए लगभग नौ वर्षों का समय लगाया गया। इसके बाद प्रदेश सरकार द्वारा 17 जनवरी, 2016 मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा द्वारा जनजातीय भवन का उद्घाटन किया गया। अब 17 जनवरी मंगलवार को जनजातीय भवन के उद्घाटन हो हुए पूरा एक वर्ष बीत जाएगा, लेकिन जनजातीय भवन को अब भी कोई सहारा नहीं मिल पाया है।

सब सुविधाएं होने पर भी लाभ नहीं

जनजातीय भवन दाड़ी में छह कमरे, तीन डोरमेटरी सेट जिनमें हर एक में लगभग 10 से अधिक बेड की व्यवस्था है। एक बेहतरीन हाल, एक किचन सहित टॉयलट-बाथरूम की उचित व्यवस्था की गई है।  अभी तक कमेटी का गठन नहीं होने से प्रदेश भर से आने वाले जनजातीय सहित अन्य लोगों को रात्रि ठहराव की कोई उचित व्यवस्था नहीं मिल पा रही है।