जीएसटी पहली अप्रैल से लागू करना जरूरी

नई कर व्यवस्था में केंद्र-राज्यों के कई अप्रत्यक्ष कर हो जाएंगे समाहित

गांधीनगर— केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को फिर कहा कि प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित लंबित मुद्दे यदि हल हो जाएं तो केंद्र सरकार अब भी इस प्रणाली को आगामी पहली अप्रैल से लागू करना चाहेगी। उन्होंने कहा कि जीएसटी को लागू करने के लिए ज्यादा से ज्यादा 16 सितंबर 2017 तक का समय है। इस नई कर व्यवस्था में केंद्र और राज्यों के ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर समाहित हो जाएंगे। इन करों में केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवाकर और राज्यों के वैट और बिक्री कर आदि शामिल हैं। जेटली ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगले कुछ सप्ताहों में जीएसटी से संबंधित दोहरे नियंत्रण और पार-सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों का हल निकल आएगा। जेटली ने यहां वाइबेंट गुजरात सम्मेलन के दौरान संवाददाताओं से अलग से बातचीत करते हुए कहा कि जीएसटी को लागू करने का एक प्रावधान हो चुका है, क्योंकि संविधान संशोधन विधेयक पारित हो चुका है। इसलिए यह संवैधानिक आवश्यकता है कि 16 सितंबर (2017) से पहले इसे लागू कर दिया जाए। जीएसटी लागू करने के लिए संसद में पारित और राज्यों द्वारा अनुमोदित संविधान संशोधन विधेयक के तहत कुछ मौजूदा करों की मियाद इस वर्ष 16 सितंबर के बाद समाप्त हो जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार बिक्री पर इस नई कर व्यवस्था को इस साल अप्रैल से लागू करना चाहती है। उन्होंने कहा कि यदि सभी मुद्दों का समाधान हो जाए तो हम इसे अप्रैल से ही लागू करना चाहते हैं। जीएसटी के रूप में बिक्री पर पूरे देश में हर जगह एक ही प्रकार का कर लागू होने से भारत दुनिया का सबसे बड़ा साझा बाजार बन कर उभरेगा। भारत दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। जीएसटी से, कारोबार करने वालों को आसानी होगी। इससे करों की चोरी रोकने में मदद मिलेगी और सरकारों का राजस्व बढ़ेगा। जीएसटी के कानूनों को लेकर केंद्र और राज्यों में काफी हद तक सहमति बन चुकी है पर करदाता इकाइयों पर नियंत्रण के मुद्दे तथा राज्यों को जीएसटी से राजस्व में होने वाले नुकसान की भरपाई की व्यवस्था पर मतभेद बने हुए हैं। वित्त मंत्री जेटली को उम्मीद है कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक में करदाताओं पर दोहने नियंत्रण का मसला हल हो जाएगा। यह बैठक 16 जनवरी को होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी दोनों के मिले-जुले प्रभाव से अधिकृत अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा और आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि एक साथ इन दोनों कदमों से अर्थव्यवस्था और अधिक बड़ी होगी और जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) ज्यादा स्वच्छ होगी।

हल्की व सरल हो जाएगी  कर व्यवस्था

केंद्रीय राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने बुधवार को कहा कि प्रस्तावित नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली वस्तु एवं सेवा कर (जीएटी) से कर व्यवस्था सरल और हल्के बोझ वाली होगी। इसमें केवल एक दर होगी और कर का भुगतान डेबिट-क्रेडिट कार्ड या चेक से किया जा सकेगा। अधिया ने यहां वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में कहा कि व्यापारियों और उद्यामियों के लिए जीएसटी व्यवस्था में संसाधनों पर चुकाए गए कर को अपनी देनदारी में समायोजित कराना अधिक आसान होगा। इससे पूरे देश पर कर अनुपालन का बोझ हल्का होगा तथा पूरा देश एक साझा बाजार बन जाएगा। अधिया ने कहा कि जीएसटी पर चलना बहुत ही आसान होगा।