जीवन देने वाली नदियों का पानी बनता जा रहा है जहर

सोलन —  जीवन देने वाली नदियों का पानी जहर बनता जा रहा है। जिला की  सात प्रमुख नदियां हैं, जिसमें से पांच नदियों का पानी पीने योग्य नहीं रहा। मानव जीवन के साथ-साथ जंगली जावनरों के लिए भी ये नदियां खतरा बन गई हैं। इन नदियों में पानी के रूप में जहर बह रहा है। नदियों में बढ़ते जल प्रदूषण को यदि रोका नहीं गया तो आने वाले दिनों में जल संकट एक ऐसी समस्या बन जाएगा, जिसका कोई हल नहीं होगा। पहाड़ों से बहने वाली नदियों का जल गंगा के समान माना जाता था, लेकिन बढ़ते औद्योगिकीकरण  के बाद  अब  यह परिभाषा ही बदल गई है। परवाणू से होकर बहने वाली कौशल्या नदी का पानी पहाड़ों में तो शुद्ध हैं, लेकिन जैसे ही यह नदी औद्योगिक क्षेत्र से होकर गुजरती हैं, इसका पानी पीने योग्य नहीं रह जाता है। नदी के आसपास रहने वाले लोग इस नदी को दूषित कर रहे हैं। उद्योगों से बहने वाला गंदा पानी भी कई बार इसी नदी में मिल जाता है, जिसके कारण नदी का पानी जहर बनता जा रहा है। इसी प्रकार जिला के बीबीएन क्षेत्र से तीन प्रमुख नदियां बहती हैं और इन तीनों नदियों का पानी पीने योग्य नहीं है। सरसा, बाल्द और चिकनी खड्ड के पानी में कई ऐसे जहरीले केमिकल मिल रहे हैं, जो जिसकी वजह से पानी का रंग ही बदल गया है।  इन नदियों के किनारे कई बस्तियां भी हैं। इन बस्तियों में रहने वाले अधिकतर लोग खुले में शौच करते हैं, जिसकी वजह से भी इन नदियों को पानी लगातार दूषित हो रहा है। इस बात की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि इन नदियों में उद्योगों से निकलने वाला जहरीला पानी नहीं मिल रहा है। हालांकि दावा किया जाता है कि समय-समय पर नदियों के पानी की जांच की जाती है। पानी का सैंपल यदि फेल भी हो जाता है तो शायद ही आज तक किसी उद्योग के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई होगी। नदियां केवल उद्योगों से निकलने वाले  केमिकल की वजह से ही दूषित नहीं हो रही हैं। शिमला से निकलने वाली अश्वनी  खड्ड के पानी में हेपेटाइटिस-ए का वायरस पाया गया है। माना जा रहा है कि शिमला सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी इस नदी में रिस रहा है, जिसकी वजह से यह दूषित हुआ है। सोलन शहर के 50 हजार लोगों को पानी पिलाने वाली अश्वनी नदी का पानी अब पीने योग्य नहीं रहा है। इस बात की गारंटी भी नहीं दी जा सकती है कि गिरि नदी का पानी भी आने वाले समय में दूषित नहीं होगा। इसी प्रकार कुनिहार क्षेत्र से होकर बहने वाली गंभर खड्ड कब तक सुरक्षित है, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है।  अब समय आ गया है कि नदियों के पानी का स्वच्छ बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। यदि इस प्रकार नदियों का पानी जहर गया तो मानव जीवन के लिए यह सबसे बड़ा खतरा साबित होगा।

नदियों के पानी के सैंपल लिए जाते हैं

उपायुक्त राकेश कंवर का कहना है कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा समय-समय पर नदियों के पानी के सैंपल लिए जाते हैं। यदि किसी उद्योग का केमिकल नदी में मिल रहा है तो सख्त कार्रवाई भी होती है।