ट्रंप की घोषणा से आईटी उद्योग बेचैन

By: Jan 23rd, 2017 12:05 am

रविशंकर प्रसाद बोले, अमरीका से जारी रहेगा अर्थपूर्ण गठजोड़

newsनई दिल्ली – अमरीका के नए राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की ‘अमरीकी उत्पाद खरीदो-अमरीकी लोगों को रोजगार दो’ की घोषणा से 150 अरब डालर के भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग में बेचैनी है। भारतीय आईटी कंपनियां अब यह इंतजार कर रही हैं कि कैसे नया प्रशासन आउटसोर्सिंग और कुशल श्रमबल की आवाजाही को लेकर नीतियां बनाता है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि अमरीका के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के साथ उसका अर्थपूर्ण गठजोड़ जारी रहेगा। भारत के आईटी निर्यात में अमरीका का हिस्सा 60 फीसदी है। ऐसे में उद्योग और सरकार अपने पहुंच कार्यक्रम के तहत यह बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे कि कैसे भारतीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने अमरीकी अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में भूमिका निभाई है। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि कैसे भारतीय कंपनियों ने अरबों डालर के करों का भुगतान किया है और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों का सृजन किया है। ट्रंप के राष्ट्रपति पद के लिए शपथ लेने से कुछ घंटे पहले पीटीआई भाषा से साक्षात्कार में प्रसाद ने कहा कि भारतीय आईटी कंपनियों की उपस्थिति 80 देशों के 200 शहरों में है। इन कंपनियों ने अमरीका के लिए काफी मूल्यवर्धन किया है। लाखों लोगों को नौकरियां दी हैं। इनमें अमरीकी भी शामिल हैं। जहां तक मेरी समझ है इन कंपनियों ने वहां अरबों डालर का टैक्स दिया है। भारतीय कंपनियों ने टैक्स के अलावा वहां रोजगार भी दिया है। आईटी मंत्री प्रसाद ने कहा कि भारत ट्रंप सरकार के साथ अर्थपूर्ण संपर्क चाहता है। हम भारतीय कंपनियों के बारे में ट्रंप के विचारों का इंतजार कर रहे हैं। हमने अपने विचार उन्हें बता दिए हैं। आगे भी हम ऐसा करना जारी रखेंगे। नास्कॉम के अध्यक्ष आर चंद्रशेखर ने कहा कि ट्रंप भारत के अनुकूल हैं। चूंकि वह खुद उद्योगपति हैं इसलिए कारोबारी वास्तविकताओं को समझते हैं। उन्होंने आगाह किया कि नए प्रशासन को किसी अकुंश की वजह से अमरीका के अंदर रोजगार सृजन पर प्रतिकूल असर की उन्हें काफी सावधानी से समीक्षा करनी होगी। ट्रंप की अमरीका फर्स्ट प्रतिबद्धता से संरक्षणवादी नीतियों को लेकर चिंता बढ़ी है और इससे भारतीय आईटी उद्योग में बेचैनी है। इससे पहले इसी महीने अमरीकी संसद में दो सांसदों ने एच-1बी वीजा को लक्ष्य कर एक विधेयक पेश किया है।


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