डिजिटल राशनकार्ड के लिए अभी तीन माह और

By: Jan 24th, 2017 12:01 am

मटौर —  प्रदेश के राशनकार्ड धारकों को अभी डिजिटल राशन कार्ड के लिए लगभग तीन महीने का और इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल जो डाटा शुरुआती समय में भेजा गया था उसमें भारी खामियां पाई गई हैं। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग इन खामियों को सुधारने में जुटा है। दरअसल जो लिस्ट सचिवालय से जिला के इंस्पेक्टरों के पास पहुंची है उसमे दर्शाई गई केटागरियों में ही भारी खामियां सामने आई हैं। कहीं नाम में गलतियां हैं तो कई एपीएल को एनएफएसए (नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट) यानी बीपीएल, अंत्योदय, पीडीएस और पीएचएच आदि में डाल दिया है तो कहीं एनएफएसए को एपीएल में। अब क्योंकि प्रोजेक्ट तीन साल पुराना है ऐसे में इस समयावधि में काफी बदलाव हुए हैं। इस लंबे अंतराल में जहां बहुत से लोगों की मौत हो गई, वहीं बहुत से बच्चों ने जन्म भी लिया। ऐसे में विभाग के लिए माथापच्ची और बढ़ गई है। अब ये फार्म दोबारा इंस्पेक्टरों के पास आए हैं, जिन्हें दुरुस्त किया जा रहा है। कई जगह तो डिपो होल्डरों के पास भी फार्म पहुंचे हैं ताकि वे उनकी सही केटागरी बता सकें कि यह एपीएल है या बीपीएल या कोई और। ऐसे में न केवल इंस्पेक्टरों के पास काम बढ़ गया है बल्कि डिपो होल्डर के पास भी प्रेशर हो गया है। बताते हैं कि ट्रकों में भर-भरकर फार्म शिमला भेजे गए थे। ऐसे में बहुत सारे मामले ऐसे भी उजागर हुए जब फार्म भी गुम होते गए। ऐसा ही एक मामला पालमपुर की ककड़ैं पंचायत का था। इस पंचायत का तो सारा रिकार्ड ही गुम हो गया था।

फार्म ने उलझाए

जानकार बताते हैं कि गलतियों का सिलसिला शुरुआती दौर में उस वक्त ही चल पड़ा था जब फार्म भरवाए गए थे, क्योंकि ये राशन कार्ड घर की मुखिया महिला के नाम से बनने थे। ऐसे में जो फार्म थे उनके कॉलम ही कन्फ्यूज करने वाले थे। एक जगह लिखा था जीवन साथी का नाम, वहां महिला के पति का नाम भर दिया गया। एक कॉलम में था पिता का नाम वहां महिला के पिता का नाम लिख दिया गया, जबकि वहां ससुर का नाम भरा जाना था। ऐसे ही मां के नाम के साथ हुआ। इसी तरह नाम के स्पेलिंग मिस्टेक भी उलझाते रहे। ऐसे में जब कम्प्यूटर में डाला अपलोड हुआ तो कहीं नाम मैच नहीं हुए तो कहीं गांव और केटागरी।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App