धर्मशाला के कचरे से मांझी मैली

दाड़ी (मांझी पुल) – शोमैन राजकपूर ने अपनी फिल्म में बताया था कि कैसे पाक साफ गंगा नदी कोलकाता तक पहुंचते-पहुंचते मैली हो जाती है। महिला उत्पीड़न को उजागर करती फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ में पवित्र नदी का सफर देखें तो काफी लंबा है। हम तो बाणगंगा (बनेर) और ब्यास की सहायक खड्ड मांझी को एक तरह से उद्गम स्थल पर ही गंदा कर रहे हैं। यकीन नहीं है, तो नगर निगम धर्मशाला में दाड़ी पुल की इस तस्वीर को देख लीजिए। इस पुल के निचले क्षेत्र में करीब 14 कूहलें और हैं, जहां से पानी सीधा धर्मशाला-कांगड़ा हलकों के गांवों व खेतों को जाता है। लाखों पशु-पक्षी यह पानी पीकर आबो हवा में जहर घुलने की वजह बन रहे हैं। हालांकि स्मार्ट सिटी धर्मशाला की नगर निगम का दावा है कि कूड़ा रेगुलर उठाया जाता है, लेकिन सवाल यह है कि अगर कचरा उठ रहा है, तो फिर यह क्या है। धौलाधार से निकलने वाली मांझी खड्ड जो कि नगर निगम धर्मशाला के खनियारा, कंड और दाड़ी में मुख्य रूप से बह कर खेती की सिंचाई, पशुओं सहित अन्य महत्त्वपूर्ण प्रयोग में लाई जा रही है, लेकिन अब लोगों ने मांझी दरिया को मात्र कूड़ेदान बना दिया है, जिसके कारण मांझी दरिया के अस्तित्व में खतरा मंडराने लगा है। धौलाधार की वादियों से निकलने वाले निर्मल पानी को लोगों ने बेशुमार गंदगी डालकर गंदा कर दिया है, जिससे अब खेतों में और पशुओं को दूषित पानी ही प्रयोग करने के लिए मिल रहा है,। नगर निगम धर्मशाला के मांझी दरिया में लोगों द्वारा बेशुमार मात्रा में कूड़ा-कचरा फेंका जा रहा है। कंड वार्ड और दाड़ी वार्ड के स्थानीय निवासियों में से मदन लाल, तुलसी राम, उत्तम चंद, हेमराज, विजय कुमार, रोशन आदि का कहना है कि आज से 10 वर्ष पहले तक मांझी दरिया का पानी सबसे स्वच्छ होता था।

नगर निगम उठा रही कूड़ा, फिर यह क्या

नगर निगम धर्मशाला द्वारा विभिन्न क्षेत्रों की तर्ज पर दाड़ी व कंड वार्ड में भी गंदगी उठाई जा रही है। निगम की गाड़ी एक-दो दिनों के बाद क्षेत्र में गंदगी उठाने के लिए पंहुच रही है। बाबजूद इसके लोगों द्वारा मांझी दरिया में ही भारी मात्रा में गदंगी फेंकी जा रही है।