निरोग जीवन का राजमार्ग

By: Jan 14th, 2017 12:15 am

व्यायाम और प्राकृतिक भोजन के द्वारा, शरीर की प्रत्येक मांसपेशी को संतुलित रूप में विकसित करना होगा, शक्ति का अर्जन करना होगा-तभी हम सुंदर बन सकेंगे। प्रकृति में ही वास्तविक सुंदरता विद्यमान है…

प्रकृति में किसी भी लक्ष्य की पूर्ति के लिए सभी साधन विद्यमान है। आपको वाह्य उपचारों की आवश्यकता नहीं है। आप जैसा भी काम करना चाहें, उसके लिए सभी उपकरण एकत्रित कर सकते हैं। भांति-भांति की जड़ी बूटियां, पौष्टिक पदार्थ, अमृतोपम दिव्य पदार्थ हमारे लिए संचित हैं। मिट्टी से लेकर धूप, जल, वायु, सूर्य किरण इत्यादि तक को यह शक्ति दी गई है कि वे हमारे शरीर को सबल और स्वस्थ बना सकें। प्राकृतिक सौंदर्य- प्रकृति में वास्तविक सुंदरता है। आजकल के फैशन के मार से युक्त पुरुष या स्त्री को लोग सुंदर समझते हैं, उसकी प्रशंसा करे नहीं थकते। यह मात्र भ्रम है। वास्तविक सौंदर्य तो पूर्ण रूप से विकसित, परिपुष्ट स्वस्थ शरीर में है।

प्रत्येक पुट्ठे और मांसपेशी में स्वाभाविक सौंदर्य है। जिस युवक या युवती के शरीर में लाल रक्त प्रवाहित होता है, जिसके शरीर में स्वाभाविक लालिमा वर्तमान है, जिनका डीलडौल संतुलित है न कोई अंग पतला है न कोई मोटा  न चर्बीयुक्त, न पेट ही बढ़ा हुआ है, नेत्र सुंदर और चमकदार हैं, त्वचा कोमल और लाल है, फेफड़े परिश्रम सहन कर लेते हैं और गहरी नींद और आराम देते हैं स्वस्थ जल से (सोडा, लेमन, शराब, चाय, शरबत से नहीं) जिनकी प्यास शांत हो जाती है, चूरण-चटनी पर जिसकी जिह्वा नहीं लपलपाती, जिनके स्वभाव में न चिडि़चिड़ापन है, न क्रोध, उतावलापन, उदासी या  निस्त्साह ऐसे स्वस्थ मनुष्य को ही पूर्ण सुंदर कहना युक्तिसंगत है। श्री विट्ठलदास मोदी के शब्दों में मोर के नीले-हरे पंख, सिंह की अयाल, बारहसिंगे के उलझे हुए लंबे सींग, सांड के चौड़े कंधे, मुर्गे की कलगी, सांप का चौड़ा फन बिलाव की लंबी मूंछ को सुंदर मानने से कौन इनकार कर सकता है? पशु-पक्षियों में सारी सुंदरता नर वर्ग को मिली है। प्रकृति ने जहां नर वर्ग को सुंदरता प्रदान की, वहां शक्ति भी दी। वस्तुतः पुरुष का सौंदर्य उसकी शक्ति में निहित है। उसका सौंदर्य उसकी शक्ति द्वारा प्रस्फरित होता है। पुरुष हो स्त्री-यदि वह पूर्ण स्वस्थ और सुंदर बना रहना चाहता है या कुरूप से सुरुरूप होना चाहता है, तो उसे प्रकृति का आश्रय ग्रहण करना होगा। प्रकृति के नियमों का पालन करना होगा। व्यायाम और प्राकृतिक भोजन के द्वारा, शरीर की प्रत्येक मांसपेशी को संतुलित रूप में विकसित करना होगा, शक्ति का अर्जन करना होगा-तभी हम सुंदर बन सकेंगे। प्रकृति में ही वास्तविक सुंदरता विद्यमान है।चेहरे पर लाल रंग, पाउडर, क्रीम पोतने से क्या लाभ? वह तो पानी से धुल जाएगा। यदि शरीर में मांस, स्वस्थ रक्त, उत्तम स्वास्थ्य और आरोग्य नहीं, तो उसे रेशमी कपड़ों या आभूषणों से अलंकृत करने से क्या सौंदर्य प्राप्त हो सकेगा? वास्तविक सौंदर्य, जो चिरस्थायी है, जिसमें ईश्वरत्व प्रकट होता है।


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