पंचरुखी में बजी बीएसएनएल की बैंड

पंचरुखी – बीएसएनएल निगम डिफाल्टर उपभोक्ताओं को तोहफा दे रहा है। निगम उनके लिए नई स्कीमों के तहत लैंडलाइन व ब्रॉडबैंड कनेक्शन दे रहा है। साथ ही कागजों में उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने पर इतरा रहा है , जबकि वर्षों से जुड़े रेगुरल उपभोक्ता की परवाह विभाग को नहीं है। उनकी संचार व्यवस्था विशेष कर ब्रॉडबैंड व्यवस्था चरमराई हुई है। शिकायत के बावजूद फील्ड कर्मचारी व अधिकारी ध्यान देने की जहमत नहीं उठाते। विभाग बिल की अदायगी पर जरा मन नहीं मारता, जबकि खराब लैंडलाइन वाला उपभोक्ता हफ्तों मन-मसोस कर रह जाता है। विडंबना तो यह है कि 198 व 1500 नंबरों पर खराब  व्यवस्था की शिकायत दर्ज करें, तो दो दिन बाद मैसेज आता है। आपकी व्यवस्था दुरुस्त हो गई है, जबकि व्यवस्था खराब ही होती है। यह स्थिति है दूर संचार निगम सल्याणा की। संचार की दुनिया का बेताज बादशाह बीएसएनएल की लैंडलाइन सुविधा अंधेरे के गर्त में लुप्त होती जा रही है। हजारों की लैंडलाइन संख्या सैकड़ों  में सिमट गई हैं। विभागीय उपेक्षित रवैये एवं कर्मचारियों की कमी के चलते ये लैंडलाइन  सेवा का वजूद मिटने की कगार पर है। अकेले दूरसंचार निगम सल्याणा की बात करें, तो यहां कभी 3000 लैंडलाइन थे, जो आज लगभग 400 तक सिमट गए है और कर्मचारियों का भी टोटा है। निगम के पास आवश्यक सामान भी नहीं है। दर्जनों गांवों की केबल खराब है व ये लैंडलाइन पूर्णतया कट चुके हैं। जब यहां यह स्थिति है, तो शेष गांवों का अंदाजा इसी से लग जाता है। हैरानी तो तब होती है, जब विभाग में 49 रुपए में नया लैंडलाइन कनेक्शन लगवाने की स्कीम जारी की थी, पर सूत्रों के अनुसार विभाग के पास केबल उपलब्ध नहीं है। निगम पुरानी खराब तारों से जुगाड़ कर कनेक्शन दे रहा है, जो कभी भी बंद हो सकती है, जबकि निगम की ब्रॉडबैंड सुविधा भी जुगाड़ से चली है। हालांकि सभी विभागों में बीएसएनएल का ब्रॉडबैंड है,  पर वह दिन दूर नहीं जब यह सुविधा भी ठप हो जाएगी ।  हालांकि विभागीय सहायक अभियंता त्रिलोक व्यवस्था को दुरुस्त मानते हैं। उनका कहना है कि क्षेत्र में  व्यवस्था दुरुस्त है।