पतंग उड़ाते समय रखें साबधानियां

मांजा बनाने के लिए एक खास किस्म की लोई तैयार की जाती है, जिसमें चावल का आटा, आलू, सरेस, गोंद, पिसा हुआ बारीक कांच का बुरादा और रंग मिलाया जाता है…

आसमान में ऊंची उड़ती पतंग हमारी उम्मीदों की उड़ान की भी प्रतीक है। यह हमें ऊंचाई तक पहुंचने और बड़े सपने देखने का हौसला देती है। पतंगबाजी के शौकीन डोर या मांजा खरीदते समय ध्यान रखें, खास कर छोटे बच्चे। क्योंकि मांजा बनाने का तरीका बेहद ही खतरनाक है। मांजा बनाने के लिए एक खास किस्म की लोई तैयार की जाती है, जिसमें चावल का आटा, आलू, सरेस, गोंद, पिसा हुआ बारीक कांच का बुरादा और रंग मिलाया जाता है। दो खंभों के बीच बांधे गए सूत के सफेद धागों पर उस लोई की अनेक परतें चढ़ाई जाती हैं और इस प्रकार खतरनाक मांजा तैयार होता है। इस मांजे से हाथ, गले में चोट लगने का खतरा ज्यादा रहता है। मांझा पकड़ने व पतंग उड़ाने वाले में सही तालमेल होना चाहिए। पतंगबाजी के शौकीन लोग बिना मुंडेर की छत से पतंग न उड़ाएं, क्योंकि निगाह पतंग पर रहने के कारण छत से गिरने की संभावना हो सकती है। पतंग उड़ाने वाली डोर में नायलॉन का धागा होता है और उस पर कांच का बुरादा चढ़ा होने के कारण यह लोगों और आसमान में उड़ने वाले परिंदों तथा वन्य जीवों के लिए भी खतरनाक होता है। कई बार पतंग बिजली के तारों में भी फंस जाती है। इसे निकालने के लिए न तो खंभे पर चढ़ें और न ही किसी अन्य तार की मदद से इसे निकालें। ऐसा करने से करंट लग सकता है। जब बच्चे  अकेले में पतंग उड़ाएं तो उनके ऊपर नजर रखें, नहीं तो आपके बच्चे के हाथ में चोट लग सकती है।