सरकार ने ‘अनफे्रंड’ किया रैहन

नूरपुर – मुख्यमंत्री के फतेहपुर हलके के दौरे के दौरान रैहन क्षेत्र की अनदेखी लोग नाखुश रैहन के लोग किसी बड़े तोहफे का इंतजार करते ही रहे। इस बार मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का प्रवास रैहन क्षेत्र के लोगों को निराशा ही दे गया और रैहन क्षेत्र के लिए कोई बड़ी घोषणा न होने से लोगों में मायूसी छाई रही। सियासी तौर पर अपनी अनदेखी से लोग कह रहे हैं कि मानें तो वीरभद्र सिंह ने उन्हें अनफ्रेंड कर दिया है। हलांकि मुख्यमंत्री ने स्थानीय विधायक की मांग पर राजकीय कन्या उच्च विद्यालय रैहन को जमा दो करने की घोषणा की परंतु इसका कोई खास असर नहीं है, क्योंकि रैहन में पहले से ही जमा दो स्कूल है। इस बार मुख्यमंत्री के फतेहपुर प्रवास के दौरान फतेहपुर हलके के प्रमुख कस्बा में इस बार विद्युत बोर्ड का अधीक्षण कार्यालय खोलने का कार्यक्रम था, परंतु बाद में मुख्यमंत्री के प्रवास के संशोधित कार्यक्रम में यह कार्यालय खोलने का कार्यक्रम नहीं था। रैहन में न तो अधीक्षण कार्यालय खुला और न ही रैहन के पास पोलिटेक्नीक कालेज का शिलान्यास हो पाया। माना जाता है कि जिस क्षेत्र का विधायक हो उसी क्षेत्र का सबसे ज्यादा विकास होता है और महत्त्वपूर्ण कार्यालय भी उसी क्षेत्र की शान बढ़ाते है। शायद यहीं कारण रहा है इस क्षेत्र के विधायक ने अपने इस कार्यकाल में फतेहपुर में एसडीएम कार्यालय से लेकर विभिन्न विभागों के कार्यालय खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कस्बा रैहन को अभी तक न तो नगर पंचायत का दर्जा  मिला है और न ही इसका वर्षों से बन रहा स्टेडियम पूरा हो सका है।  यहां किसानों की सुविधा के लिए बना किसान भवन बिना रखरखाव के जर्जर हालत में है। इस बार मुख्यमंत्री के फतेहपुर हलके के दौरे के दौरान लोग रैहन में सब-तहसील चाहते थे, परंतु राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते ऐसा न हो सका। गौरतलब है कि कस्बा रैहन एक प्रमुख कस्बा है, जो पहले नूरपुर हलके के साथ था और पुनर्सीमांकन के चलते इसकी खूब अनदेखी हुई, जिस कारण यह विकास के दृष्टि से विकसित न हो पाया। पुनर्सीमांकन के कारण रैहन क्षेत्र की कई पंचायत फतेहपुर हलके के साथ मिलाई गई और उस बार लोगों को उम्मीद थी कि इस बार इस क्षेत्र के साथ कस्बा रैहन का भी विकास होगा, परंतु सियासी इच्छाशक्ति की कमी के चलते ऐसा न हो सका।