हिमाचल में खेत घटे, जंगल बढ़े

By: Jan 30th, 2017 12:03 am

755211 हेक्टेयर पर पसीना बहा रहे किसान, 37 हजार वर्ग किलोमीटर में वन

newsशिमला – हिमाचल के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 55673 वर्ग किलोमीटर में से 37033 वर्ग किलोमीटर एरिया वनों के तहत आता है। इसके अलावा 755211 हेक्टेयर जमीन पर खेती की जाती है। बताया जाता है कि पहले खेती का एरिया ज्यादा होता था, लेकिन दिन-प्रतिदिन यह कम होता जा रहा है, क्योंकि लोगों ने खेती छोड़ दी है और खेतों में ही आलीशान मकान बन चुके हैं। पिछले पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में खेती के लिए जमीन अब कम होती जा रही है। वर्ष 2010-11 में 794757 हेक्टेयर एरिया में खेती की जाती थी, वहीं वर्ष 2011-12 में 788048 हेक्टेयर एरिया में खेती की जाती थी। इसके अलावा वर्ष 2012-13 में 789526 हेक्टेयर एरिया, वर्ष 2013-14 में 774709 हेक्टेयर एरिया तथा वर्ष 2014-15 में 755211 हेक्टेयर में खेती की जा रही है। सरकार के इन आंकड़ों से साफ है कि राज्य में खेती के लिए जमीन लगातार कम हो रही है और लोग खेती पर निर्भरता को धीरे-धीरे कम कर रहे हैं।  इसके अलावा जंगल के क्षेत्रफल में थोड़ी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के आकलन के मुताबिक वर्ष 2013-14 में 37033 वर्ग किलोमीटर एरिया में जंगल फैला हुआ है। यह सर्वेक्षण कुछ सालों के बाद किया जाता है और विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान साल में जंगलात का एरिया कुछ बढ़ा है, जिसके लिए वन विभाग लगातार यहां वनीकरण के काम कर रहा है। प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 26.35 फीसदी इलाका वनों के तहत आता है, जो वास्तव में वनाच्छादित है।  इसमें 3224 वर्ग किलोमीटर सघन वन संपदा, 6383 माड्रेट डेंस फोरेस्ट और 5061 ओपन फोरेस्ट के तहत है। राष्ट्रीय वन नीति 1988 के तहत किसी भी प्रदेश का दो-तिहाई क्षेत्र वनों के तहत आना चाहिए। यानी यह दर 66 फीसदी रहती है। हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए यह प्रावधान किया गया है, मगर हिमाचल के जनजातीय क्षेत्र जो कुल क्षेत्रफल का 20 फीसदी बनते हैं, वहां वृक्ष प्रजातियां नहीं पनप सकतीं। लिहाजा राज्य सरकार ने कुल क्षेत्रफल का 50 फीसदी वनों के तहत लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। हिमाचल में जो बंजर जमीन विभिन्न किस्मों के तहत वन विभाग के अंतर्गत आती है, वह अरसे से विवाद का सबब बन रही है। वर्ष 1952 की अधिसूचना के अंतर्गत यह स्पष्ट किया गया है कि चाहे कोई भी सरकारी बंजर भूमि होगी, वह फोरेस्ट लैंड की परिभाषा में आएगी। तभी से पूरी जमीन वन विभाग के पास है। इसे वापस लेने के लिए कमेटियों की सिफारिशें भी आईं, मगर आगामी कार्रवाई नहीं हो सकी।

करोड़ों का खर्च

हर साल विभाग वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपए का खर्चा करता है। हर साल खाली पड़ी सरकारी जमीन पर वनीकरण किया जाता है, वन महोत्सव पर पैसा खर्चा होता है। इनके द्वारा लगाए जा रहे पौधों की सरवाइवल रेट 70 फीसदी से अधिक है जो कि विभाग का दावा है।

वन वर्ग किलोमीटर में

लाहुल-स्पीति         10133

किन्नौर    5093

चंबा       5030

कुल्लू      4952

कांगड़ा    2842

मंडी        1860

सिरमौर    1843

सोलन     728

ऊना       487

बिलासपुर 428

हमीरपुर    219

कृषि क्षेत्र हेक्टेयर में

कांगड़ा    168268

मंडी        146513

हमीरपुर    74274

ऊना       67955

चंबा       63675

सिरमौर    55307

सोलन     53690

बिलासपुर 52265

शिमला    28691

कुल्लू      39374

किन्नौर    3340

लाहुल-स्पीति         1859


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App