हिमाचल से समंदर की गहराई तक प्रतिभा

जमीन से लेकर आसमान तक अपने हुनर का झंडा गाड़ने वाली हिमाचली बेटियां अब समंदर की गहराई में भी अपनी प्रतिभा दिखाने लगी हैं। कुल्लू के एक साधारण परिवार में पैदा हुईं 28 वर्षीय प्रतिभा जम्बाल ने समंदर की लहरों में जो जज्बा और हिम्मत दिखाई है, वह प्रदेश की बेटियों के लिए प्रेरणा की नई किरण जगा लाई है। दिल में अगर कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं होती। इसी की मिसाल कुल्लू के मौहल में 23 मार्च, 1989 को पैदा हुई प्रतिभा ने पेश की है। भारतीय नेवी में लेफ्टिनेंट कमांडेंट बनने के बाद प्रतिभा ने समुद्री रहस्यों को जानने के लिए निकली टीम में हुआ है। इस टीम में चुनी गई प्रतिभा प्रदेश से संबंध रखने वाली पहली महिला अधिकारी बनी हैं। इन दिनों पांच महिला अधिकारियों की यह टीम समुद्र की गहराई में दुनिया की सैर कर रही है और समुद्र के रहस्यों की अहम जानकारियां जुटा रही हैं। अभी तक देश के केवल 200 लोग ही समुद्री रहस्यों को जानने के लिए दुनिया की सैर करने वालों में शामिल हैं, जिसमें पांच महिलाएं शामिल हैं । नौसेना के पोत महादेई में सेलिंग बोट से दुनिया की सैर कर इतिहास रचने वाली हिमाचली बेटी प्रतिभा जम्वाल प्रदेश से संबंध रखने वाली इकलौती कमांडेंट हैं। सेलिंग बोट में आठ माह तक जारी रहने वाली सागर परिक्रमा अगस्त, 2016 में आरंभ हुई है। मार्च में यह परिक्रमा समाप्त होगी और विश्वभर का चक्कर काटकर सेलिंग बोट वापस भारत लौटेगी। जानकारी के अनुसार इससे पहले दो बार सागर परिक्रमा की जा चुकी है, लेकिन दोनों ही बार टीम में पुरुष थे। जानकारी के अनुसार विश्वभर में अभी तक नेवी की तरफ  से किसी भी महिला टीम को सागर परिक्रमा के लिए नहीं भेजा गया है। यह पहली बार है कि महिलाओं की टीम को प्रतिभा की अगवाई में इंडियन नेवी की तरफ  से प्रतिभा का लोहा मनवाने का मौका मिला है। खास बात यह कि सेलिंग बोट में किसी भी तरह का इंजन नहीं होता है और हवाओं के रुख के साथ ही बोट चलती है। सागर परिक्रमा को बेहद कठिन माना जाता है और सागर परिक्रमा के लिए खुद को तैयार करना पड़ता है। प्रतिभा को साल 2015 से 2016 तक यह प्रशिक्षण उनके प्रशिक्षक दिलीप पांडे ने दिया था। समुद्री गहराई से दुनिया को नापने वाली प्रतिभा जम्वाल को नौकायन से बेहद प्यार है। प्रतिभा को नेवी में शुरुआत से ही सेलिंग बोटिंग का शौक रहा है और इससे पहले इसमें प्रतिभा अपने हुनर का लोहा भी मनवा चुकी हैं। प्रतिभा के पिता रवि जम्वाल ने बताया कि प्रतिभा बचपन से ही साहसिक कार्यों के लिए हमेशा आगे रहती थी और प्रतिभा को वर्ष 2014 में नौकायन में गोल्ड मेडल मिला था। यह मेडल पाने वाली भी वह देश की पहली लेडी आफिसर थी। हालांकि प्रतिभा का बचपन बेहद साधारण वातावरण में गुजरा है। दसवीं तक की पढ़ाई प्रतिभा ने भुंतर के सरकारी स्कूल से पास की, तो इसके बाद जमा दो तक की पढ़ाई मौहल के एक निजी स्कूल में की। बद्दी यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक टेलीकम्युनिकेशन में बीटेक किया। बीटेक करने के बाद प्रतिभा की प्लेसमेंट नामी कंपनी इन्फोसिस में हो गई थी और इसके लिए उन्हें लाखों का पैकेज भी ऑफर किया गया था, लेकिन नेवी में जाने के लिए इस ऑफर को भी ठुकरा दिया था। बचपन से कुशाग्र दिमाग की धनी प्रतिभा जम्वाल ने दुनिया की सैर के सपने बुनने आरंभ कर दिए थे। प्रतिभा के तेज दिमाग का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब यह आठवीं कक्षा में स्कूल में पढ़ती थी, तो उसी दौरान बिना कोई औपचारिक प्रशिक्षण लिए यह कम्प्यूटर की बड़ी से बड़ी खराबी को दूर करने में माहिर हो गई थी। लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जम्वाल के मुताबिक इस ऐतिहासिक टीम का हिस्सा होना गौरवान्वित करता है और उनके लिए बेहद खास है। प्रतिभा के पिता रवि जम्वाल और माता रविंद्रा जम्वाल कहते हैं कि उनकी बेटी पर उन्हें नाज है क्योंकि दुनिया में उसने हिमाचल जैसे छोटे से राज्य का नाम रोशन किया है। उनका कहना है कि प्रदेश की बेटियों को राह दिखाने की जरूरत है और सही मार्गदर्शन से प्रदेश की बेटियां समंदर से लेकर आसमान तक अपना परचम लहराने को तैयार हैं।

— हीरा लाल ठाकुर, भुंतर

मुलाकात

अपनी क्षमता पर विश्वास ही सफलता है

सागर परिक्रमा तक पहुंची आपकी प्रतिभा की वास्तविक परिक्रमा है क्या?

मैं 2011 में भारतीय नौसेना कमीशंड अधिकारी बनी थी। मेरा प्रारंभिक प्रशिक्षण भारतीय नौसेना अकादमी एझिमाला केरल में हुआ ,उसी दौरान मैंने सेलिंग का प्रशिक्षण ग्रहण करना प्रारंभ किया। इसके अतिरिक्त 2013 में पहली बार मैंने आईएनएसवी महादेई पर गोवा से पोर्ट ब्लेयर तक की यात्रा तय की। तभी से मेरी रुचि सेलिंग की ओर बढ़ी, सौभाग्यावश मेरा चयन इस ऐतिहासिक  सागर परिक्रमा मिशन के लिए हो गया ।

विश्व के अनूठे साहसिक मिशन के महिला जत्थे में खुद को कैसे देखती हैं?

ऐसे मिशन का हिस्सा बनना अपने आप में ही एक बहुत बड़े गौरव की बात है। नौका में छह महिला अधिकारी हैं। प्रत्येक के लिए यह अनिवार्य है कि वह नौका के विषय में पूर्ण ज्ञान रखे क्योंकि न केवल इसे चलाने बल्कि यदि कोई तकनीकी खराबी आ जाए तो उसे ठीक करने का जिम्मा भी हमारा ही है। इस जत्थे में अपनी उपस्थिति को लेकर कई मौकों पर मैं गर्व महसूस करती थी।

आप में ऐसा क्या है, जो प्रेरित करता है?

खुद की क्षमताओं पर विश्वास, जिज्ञासा, निरंतर सीखने की इच्छा। यही मुझे प्रेरित करते हैं और आत्मबल देते हैं।

आपके लिए भय का अर्थ क्या है और इसे कैसे दरकिनार करती हैं ?

ज्ञान का अभाव और अपनी क्षमताओं पर संदेह ही भय है। अपनी क्षमता पर विश्वास कर मैं इसे दरकिनार करती हूं।

समुद्र की लहरों पर औरत जीवन और समुद्र से कितना गहरा है नारी अस्तित्व?

सर्वप्रथम तो मैं यह कहना चाहूंगी कि समुद्र महिला और पुरुष में भेदभाव नहीं करता। समुद्र आपको एहसास दिलाता है कि आप कितने सक्षम हैं। नारी अस्तित्व के बिना जीवन की कल्पना नहीं है और यह अस्तित्व समुद्र से गहरा और आसमां से ऊपर है।

खुद पर भरोसे की वजह क्या है?

जैसा कि मैंने कहा यदि आपके पास ज्ञान है और अपनी क्षमताओं पर विश्वास है तो आप कुछ भी प्राप्त कर सकते हो। यही मेरे भरोसे की वजह है।

हिमाचली होने के कारण आपके साथ क्या जुड़ा या कोई खूबी जिसे साझा करना चाहे?

हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है, जहां पर अधिकतर लोगों ने समुद्र तक नहीं देखा होता है। एक पहाड़ी राज्य से होने के बावजूद एक ऐसे मिशन का हिस्सा बनना एक उदाहरण है। इट इज द अनएक्सप्लोर्ड दैट एट्रैक्ट्स अस। टीम में ज्यादातर महिलाएं पहाड़ी क्षेत्र की ही हैं।

कोई हिमाचली गीत या नाटी, जिसे बार-बार सुनना पसंद करती हों ?

(मुस्कराते हुए ) गाने का कोई शौक नहीं रहा। वैसे भी काम में बहुत ज्यादा व्यस्त रहती हूं और हजारों मील दूर हिमाचल में अपने घर की याद तो आती है लेकिन गाने सुनने को नहीं मिलते।

किस भारतीय शख्सियत से प्रभावित रही?

हमारे प्रशिक्षक सेवानिवत्त कैप्टन दिलीप डोंडे ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। वह प्रथम भारतीय हैं जिन्होंने अकेले ही सागर परिक्रमा करने का रिकार्ड बनाया है। उनके मार्गदर्शन ने मुझे इस ऐतिहासिक मिशन के काबिल बनाया।

जीवन की अब तक की यात्रा में आपके तीन प्रमुख सिद्धांत क्या रहे?

जब भी अवसर मिले तो खतरा मोल लेने का साहस करने से न घबराएं।

कोई पुस्तक या वाक्य, जिसने सोच बदल दी?

अगर आप बेहतर कर सकतें हैं तो बेहतर करें।

आपके पीछे जो हिमाचली बेटियां खड़ी हैं उन्हें आप सफल होने का क्या मंत्र देना चाहेंगी?

आप किसी से भी कम नहीं हैं और कुछ भी नामुमकिन नहीं है।

जीवन की सबसे बड़ी ख्वाहिश?

बचपन से डिफेंस सर्विस में जाने की इच्छा थी। नेवी में मौका मिलते ही ख्वाहिश पूरी हो गई। एक अच्छा इनसान बनना जीवन की सबसे बड़ी ख्वाहिश है।