अपोलो ही संभालेगा टेलीमेडिसिन
एक्सटेंशन देने की तैयारी, कैबिनेट मंजूरी के लिए प्रस्ताव तैयार
शिमला – हिमाचल के दुर्गम क्षेत्रों में किन्नौर और काजा में टेलीमेडिसिन प्रोजेक्ट के लिए अगले एक साल के लिए अपोलो को एक्सटेंशन देने की तैयारी है। इस प्रोजेक्ट को शुरू से ही अपोलो अस्पताल ही चला रहा है। पिछले वर्ष भी अपोलो को एक्सटेंशन दी गई थी। दूरदराज के क्षेत्रों में मरीजों को बेहतर सेवाएं देने के लिए वर्ष 2015 में यह प्रोजेक्ट काजा और केलांग में शुरू किया गया था। इसके बाद इन केंद्रों पर दो साल के भीतर सौ से अधिक मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इन केंद्रों पर यह सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए प्रदेश सरकार ने अपोलो अस्पताल से एमओयू किया था। उसके बाद से अपोलो अस्पताल ही टेलीमेडिसिन प्रोजेक्ट चला रहा है। अप्रैल 2016 में अपोलो को एक साल की एक्सटेंशन दी गई थी। अब अप्रैल में ही अपोलो की एक्सटेंशन समाप्त हो रही है। इसके चलते एक बार फिर अपोलो अस्पताल को एक्सटेंशन देने की तैयारी है। प्रस्ताव मंजूरी के लिए इसी माह कैबिनेट में मंजूरी के लिए ले जाया जाएगा। प्रदेश के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में डाक्टरों के करीब 600 पद खाली पड़े हैं। दूरदराज के क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की खासी कमी है, लेकिन टेलीमेडिसिन प्रणाली के तहत इस समस्या से निपटने में काफी हद तक निजात मिली है।
एक करोड़ 11 लाख का प्रोपोजल
अपोलो ने टेलीमेडिसिन प्रोजेक्ट के लिए साल में करीब एक करोड़ 11 लाख रुपए का प्रस्ताव सरकार के सामने रखा है। टेलीमेडिसिन प्रोजेक्ट के तहत बेहद दुर्गम क्षेत्रों में भी लोगों को विशेषज्ञ सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। यहां विशेष टेलीमेडिसिन केंद्र स्थापित किए गए हैं।
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