एक लाख आबादी सिर्फ आठ टायलट के सहारे

सोलन  —  हिमाचल प्रदेश को भले ही बाह्य शौचमुक्त ओडिएफ कर दिया गया हो, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। शहर की एक लाख की आबादी मात्र आठ सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल कर रही हैं। हैरानी की बात है कि शहर के साथ लगते छोटे कस्बों में तो एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है। नए शौचालय बनाना तो दूर की बात पुराने शौचालयों में भी नगर परिषद द्वारा ताला लगा दिया गया है। मजबूरन लोेग खुले में शौच करते हैं, जिसकी वजह से कई प्रकार की जानलेवा बीमारियों के फैलने की भी आशंका बनी रहती है। इस सबकी वजह से सरकार द्वारा बाह्य शौचमुक्त किए जाने के  दावे भी केवल फाइलों तक ही सीमित हैं। जानकारी के अनुसार सोलन शहर के कुछ शौचालय इतने गंदे हैं कि लोग इनका इस्तेमाल बहुत कम करते हैं। शहर के मालरोड पर चार शौचालय हैं, जिनमें से एक शौचालय को बंद कर दिया गया है। उपायुक्त कार्यालय के समीप इस शौचालय में नगर परिषद ने ताला लगा दिया है। इसी प्रकार शहर के कोटलानाला क्षेत्र में भी दो शौचालय हैं, जिनमें से एक में ताला लगाया गया है। तहसील कार्यालय के साथ बना यह शौचालय बंद पड़ा है।  हालांकि ठोडो मैदान में बने स्टेज के साथ एक शौचालय हैं, लेकिन इसमें इतनी अधिक गंदगी होती है कि इसका इस्तेमाल  अधिकतर लोग नहीं करते हैं। हैरानी की बात है कि सोलन शहर के गंज बाजार, अप्पर बाजार, चौक बाजार और राम बाजार में मात्र एक शौचालय हैं। इसकी सफाई भी नियमित रूप से नहीं हो पाती है। गंज बाजार में स्थित इस शौचालय का इस्तेमाल पूरी मार्केट करती है। सोलन शहर के साथ लगते कस्बों की हालत तो इससे भी खस्ता है। शहर के साथ लगते औद्योगिक क्षेत्र चंबाघाट एक  सार्वजनिक शौचालय नहीं है। इस क्षेत्र की आबादी करीब दस हजार है। उपायुक्त राकेश कंवर का कहना है कि सार्वजनिक शौचालय बनाए जाने के लिए बजट की कोई भी कमी नहीं है। यदि पंचायतों शौचालय बनाने के लिए प्रस्ताव देती हैं तो प्रशासन बजट देने को तैयार है।