कीटनाशक से मधुमक्खियों का सफाया

प्रदेश में विलुप्त हो रही ऐपिस सिराना, मित्रकीट भी प्रभावित

पतलीकूहल —  प्रदेश में जिस तीव्रता से देशी मधुमक्खियों की कालोनियों का सफाया हो रहा है, उसके लिए प्रदूषित पर्यावरण इसका मुख्य कारण बन रहा है। देशी मधुमक्खी ऐपिस सिराना की गिरती तादाद जहां कीटनाशकों का छिड़काव होना बताया जा रहा है, वहीं पर इसके प्रभाव से परागण प्रक्रिया भी विफल हो रही है। सेब के पौधों में फूल खिलने के समय सेब की बढि़या सेटिंग के मधुमक्खियों की अहम भूमिका रहती है, मगर जिस प्रकार से कीटनाशकों की स्प्रे का क्रम जारी है, उससे इस मधुमक्खी का सफाया हो रहा है। यही कारण है कि सेब उत्पादन क्षेत्रों में फ्लावरिंग के समय मेलीफेरा मधुमक्खियों को लाकर परागण प्रक्रिया करवाई जा रही है। मौसम के कड़क मिजाज के आगे यह मधुमक्खी बक्से के अंदर दुबक कर रह जाती है, जबकि ऐपिस सिराना ठंड में भी परागण प्रक्रिया को करती रहती है। एशिया में ऐपिस सिराना के उत्पादन के लिए सात देश मिलकर नाबार्ड के तहत योजना को कई वर्षों से तरजीह देते आ रहे  हैं, लेकिन उनके  शौध व योजना धरी की धरी रह गई हैं। भारत सहित भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और कजाकिस्तान के शोधकर्ताओं के प्रतिनिधिमंडल ऐपिस सिराना मधुमक्खियों के संरक्षण के नाबार्ड के तहत कई प्रकार सुविधाएं मधुमक्खी पालकों को कई वर्षों से देते आ रहे हैं, लेकिन उनकी तकनीक व सुझाव प्रदूषित पर्यावरण के तहत परिपक्व नहीं हो पाए, जिससे ऐपिस सिराना मधुमक्खी विलुप्त हो रही है। उधर, वैज्ञानिकों ने माना है कि प्राकृतिक आश्रयस्थलों के ढहने, रेडिएशन, ग्लोबल वार्मिंग, एकल फसली खेती व कीटनाशकों के प्रयोग से मित्र कीटों सहित मधुमक्खियों का विलुप्त जारी है।