केसीसीबी संवर्द्धन पटल का मामला उलझा

By: Feb 10th, 2017 12:05 am

गगरेट —  विकास खंड गगरेट के अंबोटा गांव में खुले कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के संवर्द्धन पटल को बंद करने की पटकथा अंदरखाते काफी पहले ही लिखी जा चुकी थी। करीब साढ़े दस हजार की आबादी वाले जिला की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत में खुले संवर्द्धन पटल पर बैंक प्रबंधन ने किसी कर्मचारी की नियुक्ति करने की बजाय यहां कई साल तक ताला लगाए रखा और संवर्द्धन पटल को गुपचुप तरीके से बंद करने की सिफारिश तक कर दी गई। अब जब संवर्द्धन पटल से सारा सामान उठा लिया गया है, तो स्थानीय लोग भी बुरी तरह से भड़क गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर संवर्द्धन पटल दोबारा शुरू नहीं किया गया, तो मजबूरन उन्हें आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा। ग्राम पंचायत अंबोटा की प्रधान नीना देवी, उपप्रधान संजीव रोमी, पंचायत समिति सदस्य सुमन लता व जिला परिषद सदस्य रमेश हीर का कहना है कि संवर्द्धन पटल को लेकर किसने बैंक प्रबंधन को गुमराह किया इसकी भी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता को बैंक प्रबंधन यह भी बताए कि क्या वर्ष 2003 में तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार के समय यहां संवर्द्धन पटल की स्थापना का प्रबंधन द्वारा लिया गया निर्णय गलत था। हालांकि चाहिए, तो यह था कि बैंक प्रबंधन यहां कर्मचारी की नियुक्ति करता, लेकिन बैंक प्रबंधन द्वारा इसे बंद करने का लिया गया निर्णय अव्यावहारिक होने के साथ बिना सोचे-समझे लिया गया निर्णय है। सूत्रों की मानें तो इस संवर्द्धन पटल को बंद करने के लिए यहां कम लेन-देन का बहाना बनाया गया है और इसे बंद करने की सिफारिश भी बैंक प्रबंधन को की गई है। उधर, केसीसीबी के निदेशक प्रकाश चंद का कहना है कि बैंक अधिकारियों ने ही संवर्द्धन पटल पर कामकाज न होने की बात कह कर इसे बंद करने की सिफारिश की थी। उसी के आधार पर इसे बंद किया गया है, वहीं केसीसीबी की प्रबंध निदेशक राखिल काहलो का कहना है कि अगर संवर्द्धन पटल खोलने की लोगों की लिखित मांग आती है, तो इस पर विचार किया जा सकता है।


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