खुदरा महंगाई चार साल में सबसे कम

पिछले साल जनवरी के 5.69 प्रतिशत के मुकाबले रेट 3.17 फीसदी पर

नई दिल्ली— दालों और सब्जियों जैसे खाद्य पदार्थों की कीमतों में आई गिरावट से गत जनवरी में खुदरा मूल्य आधारित मुद्रास्फीति की दर घट कर 3.17 प्रतिशत पर आ गई, जो कम से कम चार साल का निचला स्तर है। जनवरी, 2016 में खुदरा महंगाई 5.69 प्रतिशत तथा गत साल दिसंबर में 3.41 प्रतिशत रही थी। सरकार ने जनवरी 2015 से खुदरा महंगाई के आंकड़ों की गणना के लिए आधार वर्ष में बदलाव किया था। नया आधार वर्ष 2012 तय किया गया और उसकी महंगाई दर का सूचकांक 100 माना गया था। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने साथ ही वर्ष, 2012 के आधार पर वर्ष, 2013 और वर्ष, 2014 के सूचकांक भी जारी किए थे। मौजूदा महंगाई दर जनवरी, 2013 से अब तक का निचला स्तर है। सीएसओ द्वारा सोमवार को यहां जारी आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2016 की तुलना में जनवरी 2017 में सब्जियां 15.62 प्रतिशत सस्ती हुईं। दालें के दाम भी 6.62 प्रतिशत घटे। गत साल जनवरी में खाद्य पदार्थों की थोक महंगाई  6.85 प्रतिशत रही थी, जबकि गत साल दिसंबर में यह 1.37 प्रतिशत रही थी। सब्जियों तथा दालों के अलावा अन्य खाद्य पदार्थ में तेजी रही है। सबसे अधिक 18.69 फीसदी की बढ़त चीनी तथा कन्फेक्शनरी उत्पादों में देखी गई।  फल 5.81 प्रतिशत, मसाले 5.0 प्रतिशत, स्नैक्स, तैयार खाने और मिठाइयां आदि 5.54 प्रतिशत, दूध एवं दुग्ध उत्पाद 4.23 प्रतिशत, मांस एवं मछली 2.98 प्रतिशत, अंडे 2.64 प्रतिशत, और तेल एवं वसा युक्त पदार्थ 3.12 प्रतिशत महंगे हुए। अन्य पदार्थों में पान तथा तंबाकू उत्पाद  6.36 फीसदी, कपड़े 4.83 प्रतिशत, जूते-चप्पल 4.00 प्रतिशत, आवास 5.02 प्रतिशत, ईंधन एवं बिजली 3.42 प्रतिशत, घरेलू सामान तथा सेवाए  4.19 प्रतिशत, स्वास्थ्य सेवाएं 4.18  फीसदी, परिवहन एवं संचार साधन 5.40 फीसदी, मनोरंजन के साधन 3.76 प्रतिशत, शिक्षा सेवाएँ 5.62 प्रतिशत तथा सौंदर्य प्रसाधन 6.29 प्रतिशत महंगे हुए हैं। ग्रामीण इलाकों में खुदरा महंगाई दर 3.36 प्रतिशत तथा शहरी इलाकों में 2.90 प्रतिशत रही है।

तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत

नई दिल्ली — आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार धीमी पड़ने से इस बार जनवरी-मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद  की वृद्धि कम रहकर 5.7 प्रतिशत रह सकती है, पर उसके बाद इसमें तेजी से सुधार होगा। यह बात वित्तीय सेवा कंपनी नोमुरा की एक रिपोर्ट में कही गई है। वृद्धि दर के चौथी तिमाही मद्धिम पड़ने के बाद इसके ग्राफ में अंग्रेजी के वी आकार का सुधार होगा। रिपोट के अनुसार इस तीव्र सुधार में पुराने बंद किए गए नोटों की जगह नए नोटों की आपूर्ति, संपत्ति के पुनर्वितरण और कर्ज सस्ता किए जाने के लंबित प्रभाव की भूमिका होगी।