गांव-गांव बनते रहेंगे दस्तावेज

दो महीने के बेहतर परिणाम पर राजस्व विभाग ने लिया फैसला

शिमला — लोगों के प्रमाण पत्र और राजस्व संबंधी दस्तावेज गांव-गांव आसानी से उपलब्ध करवाने के लिए चलाई गई मुहिम जारी रहेगी। दो महीने पूर्व शुरू की गई इस मुहिम के बेहतर परिणाम सामने आए हैं, जिसके बाद निर्णय लिया गया है कि आगे भी निरंतर यह प्रयास चलता रहेगा। इस मुहिम में सरकार ने लोगों को अपंगता प्रमाण पत्र भी उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है, जिस पर काम शुरू हो गया है। अभी तक अपंगता प्रमाण पत्र लेने के लिए स्वास्थ्य विभाग के चक्कर काटने पड़ते हैं और विशेष मेडिकल बोर्ड से प्रमाणित करवाने में समय लगता है। अब भी मेडिकल बोर्ड से तो अनुमति लेनी होगी, लेकिन गांव स्तर पर ही लगने वाले विशेष कैंपों के माध्यम से वहां ये प्रमाण पत्र उपलब्ध करवा दिए जाएंगे। लोगों को इनको रिन्यू करवाने के लिए भी धक्के नहीं खाने होंगे। राजस्व संबंधी दस्तावेज उपलब्ध करवाने के लिए कई जिलों में अभियान चलाया गया और लोगों को बिना परेशानी ये दस्तावेज हासिल हो रहे हैं। अभी भी जिलों से इसकी रिपोर्ट सीधे अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व को प्राप्त हो रही है, क्योंकि वे खुद इस मुहिम पर नजर रखे हुए हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव तरुण श्रीधर ने बताया कि प्रमाण पत्रों के साथ जमीनों के डिमार्केशन, तकसीम और उनके पंजीकरण के मामले निपटाने में खासा समय लग रहा था, लेकिन जब से विशेष अभियान छेड़ा गया है, गांव-गांव इसका फायदा मिल रहा है।

तहसील के चक्करों से छूटे लोग

निर्णय लिया गया है कि आम जनता की परेशानी दूर करने के लिए प्रत्येक गांव में क्लस्टर आधार पर ये कैंप लगाए जाएंगे और यह अभियान निरंतर चलता रहेगा। इससे तहसीलों पर भी दबाव कम हो रहा है, क्योंकि जब गांव में घरद्वार लोगों के राजस्व कार्य व प्रमाण पत्र मिलने लगे हैं, तो तहसील का रुख लोग नहीं करते। यह भी एक कारण है कि तहसीलों में पुराना रुका हुआ काम तेजी से होने लगा है और वहां कर्मचारियों की कमी भी नहीं अखर रही। इस अभियान में लोगों के लिए कुछ और सुविधाएं भी आने वाले समय में जोड़ी जाएंगी, जिनके लिए लोगों को सरकारी दफतरों के चक्कर काटने पड़ते हैं।