डाक्टरों के खिलाफ महासंघ

By: Feb 5th, 2017 12:01 am

प्रदेश के अस्पतालों में फार्मासिस्ट और अन्य स्टाफ की वकालत

शिमला— प्रदेश में चल रही डाक्टरों की हड़ताल को लेकर बेशक सरकार झुकने के मूड में दिख रही है, परंतु अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ इसके विरोध में उतर गया है। महासंघ इस बात के लिए कतई तैयार नहीं है कि सिर्फ डाक्टरों के लिए कानून में रियायतें दी जाएं। अस्पतालों में कार्यरत फार्मासिस्ट व अन्य स्टाफ को लेकर भी महासंघ ने अपनी आवाज बुलंद की है। महासंघ के अध्यक्ष एसएस जोगटा का कहना है कि जनता से सीधे रूप से जुड़े दूसरे वर्ग के कर्मचारी भी हैं, जिनको भी कानून में डाक्टरों की तरह ही राहत दी जानी चाहिए। प्रदेश के डाक्टर मेडिपर्सन एक्ट में संशोधन मांग रहे हैं, जिनका कहना है कि यदि उनके साथ कोई व्यक्ति मारपीट करता है, तो उसके खिलाफ गैर जमानती धाराएं लगाई जाएं। वहीं विपक्ष भी डाक्टरों से इस मसले पर बातचीत करने के लिए कह रहा है और विपक्ष के सदस्य भी उनसे सहमति जता रहे हैं। ऐसे में अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने  इसका विरोध किया है और कहा है कि  जनता से सीधे रूप से जुड़े कार्यों में लगे कर्मचारियों को भी वैसे ही गैर जमानती धाराओं में सुरक्षा दी जानी चाहिए, जिस पर उनका भी अधिकार है। श्री जोगटा का कहना है कि डाक्टरों को सरकार वेतन देती है और इसके बदले में उनको जनसेवा करनी चाहिए। ऐसी परिस्थितियां डाक्टरों को खुद ही दूर करनी चाहिएं, जिससे उनसे कोई मारपीट हो। यही नहीं वरिष्ठ डाक्टरों को भी लोगों का चैकअप करने के लिए आगे आना चाहिए वह भी तब जबकि जूनियर डाक्टर हड़ताल पर जा रहे हैं। उनका कहना है कि अस्पतालों  में पैरामेडिकल स्टाफ की 31 श्रेणियों के कर्मचारी तैनात हैं जिनको भी सुरक्षा मिलनी चाहिए।


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