पशु पंजीकरण को नई तकनीक की खोज

By: Feb 28th, 2017 12:01 am

नोयडा की डेयरी सॉल्यूशन कंपनी का फार्मूला जानने निकले विभाग के अधिकारी

शिमला —  प्रदेश में पशु पंजीकरण के लिए नई तकनीक पशुपालन विभाग तलाश रहा है। आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए विभाग द्वारा पायलट प्रोजेक्ट पर चलाई जा रही माइक्रोचिप योजना के सफल परिणाम सामने न आने के बाद अब विभाग नई तकनीक की खोज में है। इस योजना के महंगे होने और मनचाहा परिणाम न मिलने के बाद अब पशुपालन विभाग इस योजना का कोई दूसरा विकल्प तलाश रहा है। विभाग को पशु पंजीकरण के लिए कोई अन्य सस्ती और सफल तकनीक तलाशने के निर्देश स्वयं सरकार की ओर से दिए गए हैं। निर्देशों के तहत पशुपालन विभाग एक नई तकनीक को जांचने और परखने भी जा रहा है। इसके लिए पशुपालन विभाग से ही विशेषज्ञ डाक्टर नोयडा की डेरी सॉल्यूशन कंपनी द्वारा पशुओं के लिए तैयार किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के बारे में जानने के लिए नोयडा गए हैं। यहां डेरी सॉल्यूशन द्वारा तैयार की जा रही तकनीक से किस तरह पशुओं में पंजीकरण या अन्य जानकारी के लिए इस्तेमाल किया जाता है, इसकी पूरी जानकारी हासिल करेंगे। प्रदेश की स्थिति को देखते हुए यह तकनीक यहां कितनी कारगर साबित हो सकती है, यह जांच भी विशेषज्ञ द्वारा की जाएगी। इस तकनीक की जांच परख कर ही इसे प्रदेश में लागू करने पर फैसला विभाग लेगा। इससे पहले पशुओं को माइक्रोचिप योजना के पायलट प्राजेक्ट के तहत पशुपालन विभाग ने नालागढ़-बद्दी के क्षेत्रों में गोशालाओं के 2500 पशुओं, मनाली में 225 पशुपालकों के पशुओं और 75 घोड़ों पर यह माइक्रोचिप लगाई है। अब इन्हीं क्षेत्रों में विभाग की ओर से सर्वे भी चलाया जा रहा है, लेकिन आरंभिक परिणाम ही जो सामने आ रहे हैं, उससे यह योजना सफल होती नजर  नहीं आ रही है। विभाग का मानना है कि माइक्रोचिप योजना पर करोड़ों की राशि खर्च करने के साथ ही इसके सफल संचालन के लिए विशेषज्ञों और महंगी मशीनरी की आवश्यकता है।


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