पांच सौ रुपए के सहारे दिन काट रहे पूर्व फौजी

By: Feb 5th, 2017 12:01 am

हमीरपुर— राज्य के सैकड़ों पूर्व सैनिक सरकार की अनदेखी का दंश झेल रहे हैं। 1962, 65 और 71 की लड़ाई के बाद घर भेजे गए सैनिक मात्र 500 रुपए ओल्डेज पेंशन के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं, जबकि द्वितीय विषय युद्ध के बाद घर भेजे गए सैनिकों को वर्तमान में तीन हजार रुपए मासिक पेंशन मिल रही है। द्वितीय विषय युद्ध व 1962, 65 और 71 के युद्ध के बाद घर वापस भेजे गए सैनिकों को एक साथ पेंशन मिलना शुरू हुई थी। वर्तमान में द्वितीय विषय युद्ध में भाग लेने वाले पूर्व सैनिकों की मासिक ओल्डेज पेंशन तीन हजार है, जबकि अन्य मात्र 500 रुपए मासिक पेंशन पर निर्भर हैं। महंगाई के दौर में मात्र 500 रुपए पेंशन इन सैनिकों के साथ भद्दा मजाक लग रहा है। इसके विपरीत सामाजिक कल्याण एवं अधिकारिता विभाग 650 रुपए ओल्डेज पेंशन प्रदान करता है। फौज की पेंशन लेने के कारण ये लोग सामाजिक कल्याण एवं अधिकारिता विभाग से पेंशन के हकदार नहीं हैं। बताते चलें कि द्वितीय विश्व युद्ध, 1962, 65 और 71 की लड़ाई के लिए राज्य के हजारों लोगों को फौज में शामिल किया गया था। युद्ध समाप्त होने के बाद इन्हें घर वापस भेज दिया गया। खाली हाथ घर लौटे इन पेंशनरों को 1986 में मात्र 100 रुपए मासिक पेंशन शुरू की गई थी। 2002 में इनकी पेंशन बढ़ाकर 200 रुपए कर दी गई। 2008 में द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल सैनिकों की पेंशन बढ़ाकर 500 रुपए कर दी गई, जबकि अन्य की नहीं बढ़ाई गई। 2009 में 1962, 65 और 71 की लड़ाई में शामिल सैनिकों की पेंशन बढ़ाकर 330 रुपए कर दी गई। 2012 में द्वितीय विश्व युद्ध वालों की पेंशन 750 कर दी गई, जबकि अन्य की 500 रुपए की गई। 2014 में द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने वालों की पेंशन 2000 रुपए कर दी गई। 2015 में इसे बढ़ाकर 3000 हजार रुपए कर दिया गया, जबकि अन्य आज भी मात्र 500 रुपए मासिक पेंशन से गुजारा कर रहे हैं। वर्तमान में राज्य के 543 पूर्व सैनिक मात्र 500 रुपए पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। इन्होंने 1962, 65 और 71 की लड़ाई में भाग लिया था। इनमें 270 पूर्व फौजी व 275 पूर्व फौजियों की विधवाएं हैं। वहीं वर्तमान में 1401 पूर्व सैनिक 3000 हजार रुपए ओल्डेज पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। इन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया था। द्वितीय विश्व युद्ध की ओल्डेज प्राप्त करने वालों में 133 पूर्व फौजी व 1268 पूर्व सैनिकों की विधवाएं हैं।


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