पीला रतुआ खत्म करेगा बीज

By: Feb 4th, 2017 12:05 am

कृषि विभाग का विशेष अभियान, रोग के तोड़ को बांटी गेहूं बीज की अलग किस्म

NEWSशिमला— कृषि विभाग ने गेहूं की फसल को पीला रतुआ रोग से बचाने हेतु विशेष अभियान चलाने का निर्णय लिया है, ताकि किसानों को इस बारे जानकारी दी जा सके। गेहूं प्रदेश की मुख्य रबी फसल है, जिसके अंर्तगत 3.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्र है। करीब सात लाख टन उत्पादन है। कृषि निदेशक डा. रमेश चंद ने बताया कि लगातार कम तापमान व नमी वाला मौसम इस रोग हेतु बड़ा अनुकूल होता है, इसलिए यह विशेष अभियान चलाया जा रहा है।  उन्होंने बताया कि विभाग ने इस रोग की रोकथाम के लिए कार्य योजना तैयार की है। कृषकों को केवल गेहूं की रोग रोधी किस्मों का बीज वितरित किया गया है। इस वर्ष लगभग 70000 क्विंटल पीला रतुआ रोधी किस्म गेहूं का बीज प्रदेश के किसानों को अनुदान पर वितरण किया गया है। इसके साथ ही लगभग 15000 किलो ग्राम कार्बेंडाजिम फंफूदनाशक बीज उपचार के लिए दी गई है। कृषकों को रोग बारे जानकारी देने हेतु कृषक प्रशिक्षण शिविर व प्रदर्शन प्लॉट लगाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त बीमारी की पहचान व रोकथाम के लिए प्रचार सामग्री किसानों में वितरित की गई है तथा जन संचार माध्यमों द्वारा भी प्रसार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक हिमाचल के किसी भी जिला से पीला रतुआ के प्रकोप की कोई सूचना नहीं है। बीमारी के लक्षण दिखते ही प्रोपिकोनाजोल फंफूदनाशक का 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करने की सलाह दी जा रही है। एक कनाल के लिए 30 मिलीलिटर दवा 30 लीटर पानी में या एक बीघे के लिए 60 मिलीलिटर दवा 60 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। दूसरा छिड़काव 15-20 दिन के बाद करें।

लक्षण दिखाई दें तो तुरंत करें स्प्रे

किसानों को गेहूं की फसल की निगरानी करते रहना चाहिए और जब कभी रोग के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत दवाई का स्प्रे करें। ज्यादा जानकारी के लिए निकट के कृषि विशेषज्ञ से संपर्क करें।


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