भोरंज में सिक्कों ने खूब नचाए लोग

भोरंज  —  जिला में दस रुपए का सिक्का फिर विवादों में घिर गया है। सिक्के लेने में न दुकानदार रुचि दिखा रहे हैं और न बैंक। दुकानदारों का कहना है कि उन्हें सिक्के लेने से कोई गुरेज नहीं है, लेकिन बैंक वाले उनसे सिक्के नहीं लेते। बैंक इन आरोपों को सिरे से खारिज कर रहा है। बैंकों के अनुसार सिक्का भारतीय मुद्रा है। इसे लेने से कोई मना नहीं कर सकता। ग्राहकों का कहना है कि बैंकों ने नोटबंदी के दौरान कई-कई थैलियां ग्राहकों को सिक्कों की पकड़ाईं। बाजार में सिक्के चल नहीं रहे हैं। जब बैंक में सिक्कों को जमा कराने के लिए जाते हैं, तो बैंक कर्मी इन्हें नहीं लेते। सिक्कों का अपमान तो खुद बैंक कर्मी कर रहे हैं, वे क्या कार्रवाई करेंगे। हालांकि बैंक कर्मियों का कहना है कि दस रुपए के सभी सिक्के असली हैं। कोई नकली नहीं है। यदि दुकानदार सिक्का लेने से मना करता है, तो उसके खिलाफ  रिपोर्ट दर्ज कराई जा सकती है। बैंक लेने से यदि मना करें, तो आप इसकी शिकायत किससे करें। समस्या यह है कि लोग सिक्के ला रहे हैं। इससे कई बार बैंकों का कामकाज प्रभावित हो जाता है।

सरकार ने पांच तरह के सिक्के निकाले

शहर में दस रुपए के सिक्कों की बनावट में अंतर को लेकर लोगों में नकली-असली का भी भ्रम बना हुआ है। इसके चलते लोग दूसरी बनावट के सिक्कों को लेने से गुरेज कर रहे हैं। दस रुपए का कोई भी सिक्का नकली नहीं है। सरकार ने चार-पांच तरह के दस रुपए के सिक्के चला रखे हैं। इनमें से एक सिक्के पर दुर्गा माता की फोटो भी है, वह भी असली है।

लेने से मना करने पर बीस हजार जुर्माना

दस रुपए या कोई भी भारतीय मुद्रा का सिक्का लेने से मना करने एवं भारतीय मुद्रा का बहिष्कार करने पर बीस हजार रुपए जुर्माना या सजा अथवा दोनों का प्रावधान है।