मकलोडगंज कोर एरिया से करोड़ों की चपत

धर्मशाला   — मकलोडगंज के दलाईलामा टेंपल रोड के कोर एरिया का हल न होने से सरकार को करोड़ों की चपत लग रही है। दलाईलामा टेंपल रोड व आसपास का क्षेत्र कोर एरिया में शामिल होने के कारण न तो सरकार को टैक्स मिल रहा है और न ही कारोबारियों को राहत। इसी एरिया में एचपीटीडीसी की दर्जनों कनाल भूमि भी पार्किंग बन कर रह गई है। कागजों में यहां किसी तरह का कामर्शियल निर्माण नहीं हो सकता है। इस एरिया को रिहायशी क्षेत्र घोषित किया गया है, लेकिन मौजूदा समय में मकलोडगंज का यही एरिया सबसे अधिक कामर्शियल क्षेत्र बन गया है। इस क्षेत्र के लिए पूर्व में बने नियमों में तबदीली न होने से यहां बने बहुमंजिला होटल पर्यटकों को सेवाएं एवं सुविधाएं तो दे रहे हैं, लेकिन कोर एरिया के चक्कर में सरकार इनसे टैक्स भी नहीं ले पा रही है। जिसके चलते सरकार को अपने ही पुराने नियमों के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं करोड़ों रुपए खर्च कर पर्यटकों के लिए सुविधाएं देने वाले होटलियर भी अपने कार्यों को नहीं कर पा रहे हैं। पर्यटन नगरी मकलोडगंज के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने और तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के दर्शनों को हर वर्ष लाखों सैलानी देश-विदेशों से यहां पहुंचते हैं। उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं देने के लिए स्थानीय कारोबारियों ने पिछले कुछ वर्षों से प्रयास तो शुरू किए हैं, लेकिन पुराने सरकारी नियम उन पर भारी पड़ रहे हैं, जिससे सरकार को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। करोड़ों रुपए इनवेस्ट करने वाले कारोबारी सरकार की उन नीतियों पर भी सवाल उठाने लगे हैं, जिसमें सरकार बाहरी उद्योगपतियों को हिमाचल में लाने के लिए प्रयास कर रही है। दस से 30 करोड़ तक के बड़े होटल खड़े करने वाले कारोबारियों में इस बात को लेकर भी रोष है कि उन्हें सरकारी मदद मिलना तो दूर वह स्वयं जो इंटरनेशनल स्टैंडर्ड की सुविधाएं देने का प्रयास कर रहे हैं, सरकार उसे भी वैध करार देने को तैयार नहीं है। हालांकि वे अपनी भूमि पर ही निर्माण कर रहे हैं। पर्यटन नगरी के इस बड़े मुद्दे का हल निकले तो इससे न केवल कारोबारियों को लाभ होगा, बल्कि सरकार के खजाने में भी हर वर्ष विभिन्न करों के माध्यम से करोड़ों रुपए आएंगे। इतना ही नहीं बाहर से यहां पहुंचने वाले पर्यटक भी सुरक्षित महसूस करेंगे।