शिक्षा में नारी की कितनी भागीदारी, अब एटलस पर

शिमला  – प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में महिलाओं की क्या स्थिति है, इसका आकलन अब प्रदेश शिक्षा विभाग करेगा। विभाग शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति के आकलन के लिए डिजिटल जेंडर एटलस तैयार करने जा रहा है। इस एटलस के माध्यम से प्रदेश में जिला स्तर के साथ-साथ ब्लॉक स्तर पर उच्च शिक्षा संस्थानों में महिलाओं की स्थिति क्या है, इसका पूरा ब्यौरा उपलब्ध होगा। इसके माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में उच्च शिक्षण संस्थानों में महिला शिक्षा का अनुपात क्या है, कितनी महिला शिक्षक और छात्राएं संस्थानों में शिक्षा देने और लेने के लिए आ रही हैं, इसका पूरा ब्यौरा उपलब्ध करवाया जाएगा। रूसा के तहत केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के निर्देशों पर शिक्षा विभाग यह डिजिटल जेंडर एटलस तैयार करवाने जा रहा है। इसके पहले चरण में और इस योजना से जुड़ने के लिए डिजिटल जेंडर एटलस फॉर एडवांसिंग वूमन एजुकेशन तैयार करने के लिए ईओआई (एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रस्ट) मांगे हैं। इसके लिए विभाग ने जो भी कंपनी, फर्म, इंस्टीच्यूट, निजी पार्टी जो इस तरह की गतिविधियों में शामिल है, से ईओआई रजिस्टर करने के लिए आवेदन मांगे हैं। इसके लिए एटलस के उद्देश्य भी विभाग ने स्पष्ट किए हैं, जिसके आधार पर ही किसी भी कंपनी द्वारा एटलस के लिए अपना पूरा कांसेप्ट नोट देने के साथ ही अपनी वर्तमान गतिविधियों के साथ, वित्तीय, शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव और कंपनी की सामान्य छवि का ब्यौरा भेजना निर्धारित किया गया है। कंपनियों को यह ईओआई 23 फरवरी तक राज्य परियोजना अधिकारी रूसा उच्च शिक्षा निदेशालय को भेजने होंगे। जानकारी के अनुसार डिजिटल जेंडर एटलस फॉर एडवांसिंग वूमन एजुकेशन की पहल एमएचआरडी द्वारा पहले ही पिछले साल मार्च में कर दी गई है। एटलस में दलित, आदिवासी तथा मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा के क्षेत्र में क्या स्थिति है और शिक्षा में कुछ खास वर्गों में शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं के पिछड़ने के क्या कारण हैं, उनकी पहचान करना है। एटलस में लड़कियों के साथ-साथ महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा। महिलाओं की स्थिति का आंकड़ा भी इस एटलस में स्पष्ट किया जाएगा।

ये श्रेणियां होंगी शामिल

एटलस में जो श्रेणियां शामिल होंगी, उसमें एक्सेस, समानता, इन्फ्रास्ट्रक्चर, आउटकम, दिव्यांगों के लिए दी जाने वाली सुविधाओं के साथ शिक्षण संस्थान की ट्रांसपोर्ट से तय की जाने वाली दूरी के साथ ही सामाजिक पहलुओं से एससी/एसटी, ओबीसी, अन्य पिछड़ा वर्ग दिव्यांग के साथ एनसीसी, एनएसएस में छात्राओं की संख्या के साथ-साथ शिक्षकों में नेट/पीएचडी, कालेज इन्फ्रास्ट्रक्चर में छात्राओं से जुड़ी महत्त्वपूर्ण जानकारी जुटाकर आंकड़ों सहित शामिल की जाएगी।