सिनेमा में पहली बार – भाग 22

‘द लाइफ ऑफ क्राइस्ट फिल्म से मिला लक्ष्य

1910 मे मुंबई में फिल्म ‘द लाइफ ऑफ क्राइस्ट’  के प्रर्दशन के दौरान दर्शकों की भीड़ में एक ऐसा शख्स भी था, जिसे फिल्म देखने के बाद अपने जीवन का लक्ष्य मिल गया। लगभग दो महीने के अंदर उसने शहर में प्रदर्शित सारी फिल्में देख डालीं और निश्चय कर लिया वह कि फिल्म निर्माण ही करेगा। यह शख्स और कोई नहीं भारतीय सिनेमा के जनक दादा साहब फाल्के थे।

सुपरहिट साबित हुई बावर्ची

फिल्म  बावर्ची के निर्माण के दौरान दादा फाल्के की पत्नी ने उनकी काफी सहायता की। इस दौरान वह फिल्म में काम करने वाले लगभग 500 लोगों के लिए खुद खाना बनाती थीं और उनके कपड़े धोती थीं। फिल्म के निर्माण में लगभग 15000 रुपए लगे जो उन दिनों काफी बड़ी रकम हुआ करती थी। फिल्म का प्रीमियर ओलंपिया थियेटर में 21 अप्रैल, 1913 को हुआ जबकि यह फिल्म तीन मई, 1913 में मुंबई के कोरनेशन सिनेमा में प्रर्दशित की गई थी। लगभग 40 मिनट की इस फिल्म को दर्शकों का अपार प्यार मिला। फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई।

पहली महिला निर्देशक

वर्ष 1926 में प्रदर्शित फिल्म ‘बुलबुले परिस्तान’  पहली फिल्म थी जिसका निर्देशन महिला ने किया था। बेगम फातिमा सुल्ताना इस फिल्म की निर्देशक थीं। फिल्म में जुबैदा, सुल्ताना और पुतली ने मुख्य भूमिका निभाई थीं। इसी वर्ष आर्देशिर इरानी ने इंपेरियल फिल्म की स्थापना की। लाहौर में पंजाब फिल्म कारपोरेशन की स्थापना भी इसी वर्ष की गई।

भारत की पहली महिला अभिनेत्री और पहला डांस नंबर

फिल्म राजा हरिश्चंद्र की अपार सफलता के बाद दादा साहब फाल्के ने वर्ष 1913 में ‘मोहिनी भस्मासुर’ का निर्माण किया। इसी फिल्म के जरिए कमला गोखले और उनकी मां दुर्गा गोखले जैसी अभिनेत्रियों को भारतीय फिल्म जगत की पहली महिला अभिनेत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ था। इसी फिल्म में पहला डांस नंबर भी फिल्माए गया था। कमला गोखले पर फिल्मा, इस गीत को दादा फाल्के ने नृत्य निर्देशित किया था।

और वह पहला देवदास

1928 में प्रदर्शित शरत चंद्र चटोपाध्याय के उपन्यास देवदास पर पहली बार फिल्म देवदास का निर्माण किया गया। फन्नी बरुआ, तारकबाला और निहारबाला और मिस पारुल इस फिल्म में मुख्य भूमिका मे थे। फिल्म का निर्देशन नरेश मित्रा ने किया था। इसी वर्ष पृथ्वीराज कपूर ने अपने सिने करियर की शुरुआत मुंबई में इंपीरियल फिल्म कंपनी से की। इसी वर्ष प्रदर्शित फिल्म ‘विश्वमोहिनी’ ऐसी फिल्म थी, जिसमें  गौहर ने इस फिल्म में तिहरी भूमिका की थी।