सिरमौरी नाटी पर जमकर झूमी दिल्ली

राजगढ़  —  गणतंत्र दिवस के अवसर पर  29 व 30 जनवरी को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय भारत पर्व में आसरा संस्था जालग राजगढ़ के कलाकारों ने लोक नृत्यों की शानदार प्रस्तुती से हजारों दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर डाला। संस्था के मुख्य सलाहकार विद्यानंद सरेक तथा सचिव हेमलता ने बताया कि गुरु-शिष्य परंपरा के अंतर्गत गुरु जोगेंद्र हाब्बी द्वारा मौसमो के अनुसार लोक नृत्य गायन का शानदार कार्यक्रम देते हुए हिमाचल की संस्कृति को एक अलग पहचान दिलाई। इन दोनों दिनों आयोजित प्रस्तुति में सिंहटू और भड़ाल्टू नृत्य ने जहां एक ओर सैकड़ों वर्ष की विधाओं को मंचीय आकर्षण दिया है, वहीं विलुप्त हो रही इन विधाओं का मूल परिदृष्य भी जनमानस के समक्ष आन खड़ा किया है। बसंत में बिशु मेले का ठोडा नृत्य, आषाढ़ सावन मास का माला रिहाल्टी लोक रंग, दीपक परात नृत्य की प्रस्तुति शरद ऋतु की तावली नाटी के ताल पर रासा नृत्य, नंबरदार हास्य नाटिका तथा पढूआ नृत्य इस पर्व के विशाल मंच का आकर्षण रहा। मुख्य मंच के अलावा खुले मंच में दर्शकों के मध्य विभिन्न कार्यक्रम देकर सिरमौरी नाटी ने दर्शकों को भी नचा डाला। आसरा संस्था की सचिव हेमलता ने बताया कि इस तरह शोध व्यवस्था के अनुसार गुरु ने कठिन परिश्रम से कलाकारों को प्रशिक्षित कर इन लोक विधाओं को मंचीय आकर्षण दिलाया है और परिणामस्वरूप आसरा के कलाकारों को खूब प्रशंसा हासिल हुई है।आसरा के कलाकारों में ताल वादक में ढोल पर हंसराज व रमेश, शहनाई पर बलदेव, करनाल पर चिरंजी व मुकेश, नगाड़ा पर जयराम व वेद प्रकाश, रणसिंगा पर जीवन सिंह, लोक गायकों में रामलाल, धर्मपाल, लक्ष्मी, सुनपती व लोक नृत्य की विभिन्न विधाओं में पुरुष कलाकार गोपाल, चेतराम, अमी चंद, जितेंद्र, चमन व कृष्ण तथा महिला कलाकारों में सरोज, सीमा, लीला, अनुजा, प्रिया ने भाग लेकर भारत पर्व में सिरमौरी संस्कृति को एक अलग पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई।