सीरीनगर में शिव भक्तों का महामेला

कंडाघाट— कंडाघाट के सीरीनगर स्थित प्राचीन शिवालय मंदिर में चल रही शिवमहापुराण की अमर कथा के चौथे दिन शनिवार को भी क्षेत्र की भारी संख्या में लोगों ने आकर कथा को सुना। इस दौरान क्षेत्र के लोगों ने मंदिर में आकर शिव की पूजा-अर्चना भी की गई।  जानकारी के अनुसार कंडाघाट के सीरीनगर स्थित प्राचीन शिवालय मंदिर में शिवरात्रि के अवसर पर 11 दिनों तक शिवमहापुराण की अमर कथा की जा रही है। इस कथा के चौथे दिन कथा प्रवक्ता क्योथल स्टेट राज पंडित श्री कृपाराम शास्त्री जी के सपुत्र श्री जितेंद्र शास्त्री जी ने क्षेत्र से आए लोगों को शिवलिंग की पूजा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सभी देवी-देवताओं की साकार रूप की पूजा होती है, लेकिन भगवान शिव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जिनकी पूजा साकार और निराकार दोनों रूप में होती है। साकार रूप में शिव मनुष्य रूप में हाथ में त्रिशूल और डमरू लिए और बाघ की छाल पहने नज़र आते हैं। जबकि निराकार रूप में भगवान शिवलिंग रूप में पूजे जाते हैं। शिवपुराण में कहा गया है कि साकार और निराकार दोनों ही रूप में शिव की पूजा कल्याणकारी होती है, लेकिन शिवलिंग की पूजा करना अधिक उत्तम है। शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग की पूजा करके जो भक्त शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं, उन्हें प्रातःकाल से लेकर दोपहर से पहले ही इनकी पूजा कर लेनी चाहिए। इस दौरान शिवलिंग की पूजा विशेष फलदायी होती है। केवल शिवलिंग की ही पूजा क्यों होती है, इस विषय में शिव पुराण कहा गया है कि महादेव के अतिरिक्त अन्य कोई भी देवता साक्षात् ब्रह्मस्वरूप नहीं हैं। संसार भगवान शिव के ब्रह्मस्वरूप को जान सके, इसलिए ही भगवान शिव ज्योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हुए और शिवलिंग के रूप में इनकी पूजा होती है। शिवालय मंदिर कमेटी के प्रधान चैन सिंह व राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि मंदिर में चल रही शिवमहापुराण की अमर कथा प्रत्येक दिन दो से चार बजे तक आयोजित की जा रही है। कथा के समापन के बाद   मंदिर परिसर में विशाल भंडारे की भी आयोजन किया जा रहा है। शनिवार को भी कथा के सामपन होने के बाद क्षेत्र के लोगों ने शिव भगवान का प्रसाद ग्रहण किया।