( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) मौसम करवट बदल रहा है, मस्ती का है साया, कलिका झांक रहीं, लो वसंत फिर आया। फुलवाड़ी घर-घर की महकी, पक्षी सुध-बुध भूले, पड़ती है फुहार हल्की सी, डाल रहे वो झूले। वसुधा नई-नवेली दुल्हन, ओढ़ दुपट्टा पीला, बिंदिया जवां कुसम की, लहंगा लिए चमकीला। ठिठुर रहे थे