अब दस बच्चों वाले स्कूल बंद होंगे

अढ़ाई सौ पाठशालाओं पर संकट, महज उपलब्धियां बढ़ाने की थी कसरत

शिमला— कांग्रेस ने सत्ता में आते ही अपनी उपलब्धियां बढ़ाने के लिए खोले गए स्कूलों को अब संसाधनों के अभाव में बंद करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। हालांकि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पहले दावा करते रहे कि कहीं एक बच्चा भी है तो उसे भी पढ़ने का अधिकार है, इसलिए कोई भी स्कूल बंद नहीं होंगे। बावजूद इसके नवंबर में पांच से कम छात्रों की संख्या वाले स्कूलों पर कैबिनेट ने नवंबर में 109 स्कूलों को बंद करने पर मुहर लगा दी। इसके बाद इन स्कूलों को बंद कर दिया गया। अब अगले चरण में 10 छात्रों वाले करीब अढ़ाई सौ स्कूलों पर भी संकट खड़ा हो गया है। सूत्रों का कहना है कि उच्चाधिकारियों ने शिक्षा विभाग से दस छात्रों वाले स्कूलों की रिपोर्ट मांगी थी। इस पर विभाग ने यह जानकारी सरकार को भेज दी है। अब दस या उससे कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करने का खाका तैयार हो चुका है। बताया जा रहा है कि इस पर जल्द सरकार फैसला ले सकती है। तर्क दिया जा रहा है  कि स्कूलों को बंद नहीं, बल्कि मर्ज किया जा रहा है। सरकार ने नवंबर में जो 109 स्कूल बंद किए थे, उनमें मंडी और कांगड़ा में सबसे अधिक स्कूलों पर ताले लटके थे। अकेले कांगड़ा से 26 और मंडी से भी 26 स्कूलों को बंद किया गया था। ्रजिला शिमला से 19, सोलन से एक, सिरमौर से सात, ऊना से दो और हमीरपुर से नौ, चंबा से चार और बिलासपुर से दो स्कूलों को बंद किया, जबकि किन्नौर से चार और लाहुल-स्पीति से नौ स्कूलों को बंद किया  गया।

यह है सूरत-ए-हाल

हैरानी की बात है कि अभी तक 11 ऐसे स्कूल भी चल रहे थे, जिनमें 15 अगस्त 2016 तक एक छात्र का भी दाखिला नहीं, जबकि नौ स्कूलों में महज एक-एक छात्र था, जबकि आठ स्कूलों में केवल दो की ही इनरोलमेंट हुई, अन्य में किसी में चार और किसी में पांच छात्र थे। कांगड़ा के बसमेरह, मंडी के पंतेहड़, भरान, दिग्ली, लंघा, अथराह, छांब (बी), खरून, सकरेन, भदेड़, मलारी, बदोहा, गोकास्वारी, सोनदरी, रवाशी, मथाला में 15 अगस्त, 2016 तक जीरो इनरोलमेंट रही।