किसानों की मेहनत पर फिरा पानी

नालागढ़ – तेज हवाओं के साथ हुई बारिश ने जहां मार्च माह में जनवरी जैसे ठंडे मौसम का एहसास करवाया, वहीं किसानों पर भी खूब कहर बरपाया है। किसानों पर मौसम की दोहरी मार पड़ी है, क्योंकि पहले किसान बारिश को तरसते रहे और अब हो रही बारिशें तो ठीक है, लेकिन बारिश के साथ तेज हवाओं से किसानों के खेतों की फसलें बिछ गई और क्षेत्र के किसानों के अनुसार उनकी करीब 45 फीसदी गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा है। मार्च माह में हो रही बारिशें किसानों की चिंता का विषय बन गई है। जहां किसानों ने खेतों में फसलों की बिजाई की तो पानी नहीं मिला और जब गेहूं की फसलें तीन से साढ़े तीन फुट हो गई तो बारिश के साथ तेज हवाओं ने किसानों की मेहनत पर पानी फेरना शुरू कर दिया है। क्षेत्र के किसानों का कहना है कि तेज हवाओं के साथ हुई बारिश से करीब 45 फीसदी गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा है। इन दिनों क्षेत्र के किसानों ने गेहूं, सरसों की खेती की हुई है और किसान अपनी फसलों के बर्बाद होने से अपने परिवार के भरण पोषण की चिंता करने लगे है। उधर, मौसम विभाग ने 15 मार्च को पश्चिमी विक्षोभ के आने की पहले ही चेतावनी दे रखी है। जानकारी के अनुसार क्षेत्र में मौसम की बेमिजाजी किसानों पर भारी पड़ रही है। किसानों ने जो फसलें अपने जीवन यापन के लिए लगाई है, उसे बारिश के साथ तेज हवाओं ने नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है, जिससे किसानों की मेहनत पर बारिश ने पानी फेर दिया है। क्षेत्र के किसान योगेश शर्मा, प्रेम चौधरी आदि ने कहा कि इस बार मौसम किसानों पर भारी पड़ा है और पहले जब बारिशों की जरूरत थी तो इंद्रदेव नहीं बरसे और जब जरूरत नहीं थी तो हवा के साथ ऐसी बारिश हुई कि गेहूं की फसल को करीब 45 फीसदी तक नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि गेहूं की फसलें खेतों में बिछ गई है, जिससे दाना झड़ने का अंदेशा बन गया है, वहीं यदि दाना लगेगा भी तो वह विकसित नहीं हो सकेगा, ऐसे में किसानों को अपने परिवार के भरण पोषण की चिंता सताने लगी है। उन्होंने कहा कि बारिश से तैयार फसल को नुकसान पहुंचा है, वहीं गुणवत्ता में फर्क आ जाता है, जिससे किसानों को दाम भी कम मिलते है। नौणी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभागाध्यक्ष डा. एसके भारद्वाज ने कहा कि आने वाले एक-दो दिन मौसम साफ रहेगा, जबकि उसके बाद फिर से बारिश होने का अनुमान है, क्योंकि 15 मार्च को एक ओर पश्चिमी विक्षोभ की संभावनाएं है।