केरल का बेकल किला

केरल में प्राकृतिक सुषमा से भरपूर समुद्री तट, कोवलम और पर्वतीय पर्यटक स्थल ही नहीं बल्कि बेकल किला जैसी खूबसूरत धरोहर भी है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर केरल को देवों की भूमि कहा जाता है। इसके एक किनारे पर दक्षिणी घाट के घने जंगल हैं, तो दूसरे किनारे पर लहराता अरब सागर।  दो द्वीपों के बीच में स्थित बेकल का किला प्राकृतिक सुषमा से भरपूर और लंबे सुंदर नारियल के पेड़ों से घिरा है। केरल में यह सबसे बड़ा और संरक्षित किला है। बेकल से नजदीकी रेलवे स्टेशन आठ किलोमीटर की दूरी पर है और सबसे नजदीक का हवाई अड्डा कर्नाटक के मंगलोर में है, जो 70 किलोमीटर की दूरी पर है। बेकल और इसके आसपास कई और आकर्षक केंद्र मौजूद हैं।  बेकल किला के अलावा यहां होसदुर्ग और चंद्रगिरि हैं। यहां आकर्षक समुद्र तट, अप्रवाही जल और पहाड़ी केंद्र तथा प्राचीन मंदिर सहित अन्य आकर्षण मौजूद हैं। बेकल को पर्यटन के नए केंद्र के रूप में स्थापित करने के अभियान  ‘बेकल को जानिए’, की शुरुआत की गई है, जिसके तहत बेकल पर्यटन केंद्र 260 एकड़ क्षेत्र में फैला होगा। इसके तहत पहाड़ी स्थल, अप्रवाही जल और चिथिड़ा नदी पर तैरते हाउस बोट भी होंगे। केरल में प्राकृतिक सुषमा से भरपूर समुद्री तट, कोवलम और पर्वतीय पर्यटक स्थल ही नहीं बल्कि बेकल किला जैसी खूबसूरत धरोहर भी है।

चावल व नारियल के बिना कुछ भी नहीं

केरल जितना खूबसूरत प्रांत है उतना ही जायकेदार यहां का खानपान है। चावल यहां का मुख्य भोजन है और चावल से बने कई तरह के व्यंजन लोग चाव से खाते हैं। चावल जितना ही महत्त्वपूर्ण है नारियल। नारियल के तेल में ही केरल के ज्यादातर व्यंजन पकाए जाते हैं। चावल से यहां डोसा, इडली, पुट्टू,  टूडियाधम, पालप्पम आदि बनाया जाता है। सब्जियों में अवियल यानी मिक्स सब्जी प्रमुख है। इसमें सांभर और सैजन मुख्य तत्त्व होते हैं। चावल के साथ पापड़म भी पसंद किया जाता है। तोरन यानी नारियल से बनी सूखी सब्जी यहां के लोगों को खूब भाती है। खाने के साथ मोर करी यानी छाछ भी परोसा जाता है। मीठे में यहां के लोगों की पहली पसंद है पायसम यानी खीर। केला यहां का प्रमुख फल है। कोई भी समारोह केले के चिप्स के बिना अधूरा माना जाता है।