चार साल से खुले आसमान तले पढ़ाई

प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग ने की बेकद्री, प्राथमिक स्कूल खलियाणी की छत उड़ने से ठंड-गर्मी का दंश झेल रहे छात्र

 कुल्लू— सरकार और शिक्षा विभाग हमें छत दे या नहीं, तब भी हम पढ़ाई करेंगे। चार सालों में ठंड और तेज गर्मी में जो कष्ट हमने और हमारे गुरु ने झेले हैं, उन्हें कोई ही जान पाएगा। ऐसी कुछ कठोर परिस्थिति के बीच हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के अंतर्गत आते राजकीय प्राथमिक स्कूल खलियाणी के बच्चे अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। यहां पर जो समस्या है, उससे सरकार अवगत है, लेकिन इसके बावजूद इन बच्चों की गंभीर दिक्कत का समाधान नहीं हो पा रहा है। बता दें कि खलियाणी प्राथमिक स्कूल में चार वर्ष पहले छत उड़ी है और भवन की दीवारें भी ढह गई हैं। भवन का कुछ हिस्सा बचा है, वह पूरी तरह से डैमेज है। ऐसे में बच्चों का पठन-पाठन खुले आसमान के नीचे पिछले चार वर्षों से करवाया जा रहा है। हालांकि इस स्कूल में तैनात अध्यापक ने यहां की समस्या शिक्षा विभाग कुल्लू में ही नहीं, अपितु प्रदेश सरकार के समक्ष भी रखी, लेकिन इस पर सब अनदेखी करते आए हैं। हैरानी की बात यह है कि इस स्कूल का दौरा दो बार प्रदेश सरकार के वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने भी किया। इस दौरान तो समस्या का हल करने के लिए मंत्री ने भी दावा किया, लेकिन आज तक दावा पूरा नहीं हो पाया है। वहीं प्रशासनिक अमला भी परिस्थिति से अवगत है, फिर भी इस स्कूल की अनदेखी की जा रही है। यहां के बच्चे तेज गर्मी और ठंड के बीच मैदान में पढ़ाई करते हैं। बारिश हुई तो डैमेज भवन के बरामदे में पांच कक्षाओं के 36 बच्चों को पढ़ाया जाता है। बारिश के दौरान यहां पर कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन किसी को कोई चिंता नहीं है। उधर, खलियाणी स्कूल के अध्यापक राज कुमार ने बताया कि स्कूल पूरी तरह से डैमेज है। बच्चों को खुले में पढ़ाना पड़ रहा है। विभाग और सरकार के ध्यान में स्कूल की व्यथा लाई जा रही है।

अब किसे सुनाएं दुखड़ा

बच्चों के अभिभावकों हेत राम, दिवान सिंह, धर्म सिंह, झाबे राम, केसर सिंह, जोग राज और दिले राम का कहना है कि उनके बच्चे जान जोखिम में डालकर पिछले चार सालों से पढ़ रहे हैं। स्कूल में एक ही अध्यापक नियमित रूप से तैनात है। उनके बच्चों की चिंता कोई नहीं कर रहा है। इस दुखड़े को किसे सुनाया जाए, यह बड़ी परेशानी हुई है।