डीएनए से सुलझे 1200 मामले

धर्मशाला फोरेंसिक लैब में सेमिनार, विशेषज्ञों ने रखे 2008 से अब तक के आंकड़े

धर्मशाला —  आपराधिक मामलों दुष्कर्म, हत्या व अज्ञात व्यक्ति की पहचान करने के लिए डीएनए सबसे महत्त्वपूर्ण सबूत है। मौजूदा समय में डीएनए टेस्ट से अनसुलझे मामले भी सुलझाए जा रहे हैं।  शिमला में बच्चों की अदला-बदली तथा युग हत्या मामला भी डीएनए टेस्ट से ही सुलझाया गया था। हिमाचल में वर्ष 2008 से लेकर अभी तक 1200 मामले डीएनए के जरिए सुलझाए जा चुके हैं। पोक्सो और यौन शोषण के करीब 27 मामले डीएनए द्वारा सुलझाए गए हैं। रविवार को धर्मशाला में क्षेत्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला उत्तरी रेंज ने डीएनए टेक्नोलॉजी पर सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार के बतौर मुख्यातिथि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष न्यायाधीश वीके शर्मा ने कहा कि डीएनए ही ऐसी वैज्ञानिक तकनीक है, जिसके जरिए अपराधी को लिंक किया जा सकता है और सजा दिलाई जा सकती है। डा. वीके कश्यप ने कहा कि सूक्षम साक्ष्य भी डीएनए के उपयोग में लाया जा सकता है।  धर्मशाला लैब की उपनिदेशक डा. मीनाक्षी महाजन ने कहा कि डीएनए टेक्नोलॉजी का सेमिनार पुलिस अन्वेषण अधिकारियों के लिए बहुत उपयोगी है। सहायक निदेशक डा. एसके पाल ने कहा कि इस प्रकार के सेमिनार में न्यायाधीशों, जिला न्यायवादियों, पुलिस अधिकारियों एंव मेडिकल अधिकारियों को मामलों को सुलझाने में सहायता मिलती है। सेमिनार में जिला एवं सत्र न्यायाधीश कांगड़ा श्री सोहन लाल शर्मा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश चंबा योगेश जसवाल, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कांगड़ा राजीव बाली, मुख्य ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट ऊना प्रताप ठाकुर, अभय मंडयाल, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक जीडी भार्गव, पुलस महानिरीक्षक उत्तरी रेंज सुनील चौधरी, कमांडेंट द्वितीय वाहिनी सकोह तथा अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।

बच्चे बदलने का केस निपटा

स्टेट फोरेंसिक लैब जुन्गा के निदेशक डा. अरुण शर्मा ने कहा कि हिमाचल में इस विधि से शिमला जिला के बच्चों के बदलने तथा युग हत्या मामले को डीएनए विधि से ही सुलझाया गया था। मौजूदा समय में जुन्गा में ही डीएनए टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है तथा जल्द ही मंडी तथा धर्मशाला लैब में सुविधा शुरू होगी।