दर्जा बढ़ते ही सल्याणा मेला अमीर

पंचरुखी – ऐतिहासिक सल्याणा मेला ग्रामीण स्तर से जिला स्तर की मंजिल पाते ही प्रशासन के लिए दो से तीन गुना अधिक आमदनी का साधन बन गया है। जो मेला वर्षों बाद भी मात्र छह लाख का बजट ही इकट्ठा कर पाया था, लेकिन  एसडीएम पालमपुर के बेहतर प्रबंधन से इस बार एक ही झटके में केवल मात्र मेले में झूले वाली जमीन से ही लगभग नौ लाख के आमदनी हुई है। साथ ही अस्थायी दुकानों से पूर्व वर्ष मेले को लगभग ढाई से तीन लाख की आमदनी हुई थी, जबकि इस वर्ष प्रशासन उन्हीं दुकानों से अंदाजन आठ से दस गुना तक अधिक राशि प्राप्त कर चुका है। बीते वर्ष झूले वाली भूमि से पंचायत को चार लाख की आमदनी हुई थी, जबकि इस बार प्रशासन को इसी भूमि से नौ लाख 40 हजार के लगभग आमदनी हुई है। अगर हम मेले की लगभग 30 से 40 कनाल  भूमि पर सजने वाली लगभग 1000 अस्थायी छोटी-बड़ी दुकानों की बात करें, तो पंचायत ने दुकानों के लिए भूमि छह रुपए के लगभग प्रति वर्ग फुट के हिसाब से आबंटित की थी, जबकि जिला स्तरीय होने पर इस बार अस्थायी भूमि के लिए जगह  50 रुपए प्रति वर्ग फुट के हिसाब से आबंटित की गई व प्रशासन को लगभग 20 लाख आमदनी हो गई, जिस दुकान के हर बार 500 से 800 रुपए तक दाम थे, वह इस बार दो से ढाई हजार रुपए तक बिकी है। बढ़ती प्रतियोगिता में व्यापारियों ने मुंह मांगे दाम भी दिए। आशा है कि प्रशासन कुछ सेवाओं, सुविधाओं और वस्तुओं के दाम भी तय कर देगा।  बताते चलें कि मेला मैदान में लगभग 1000 तक छोटी-बड़ी दुकानें लगने की भूमि हैं।