पुरानी पेंशन के लिए सड़कों पर उतरेंगे गुरुजी

 पालमपुर —  पुरानी पेंशन स्कीम जल्द बहाल ने किए जाने की स्थिति में हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ व सर्व एनपीएस कर्मचारी संघ ने सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है। शिक्षकों के अनुसार यूनियनें लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करवाने के लिए प्रत्यनशील हैं, परंतु अभी तक सरकार ने वार्ता के लिए भी नहीं बुलाया है। जितनी भी रिटायरमेंट एनपीएस के तहत हो रही हैं, उसमें पांच सौ रुपए से लेकर 5100 रुपए तक की पेंशन ऑफर की जा रही है जो कि नाकाफी है और इसके एवज में कंपनी कर्मचारियो का लाखों रुपए अपने पास रख रही है। ऐसे कई कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया गया है। इतना ही नही इस स्कीम के तहत कर्मचारियों की जो ग्रेच्युटी देय होती थी उसे भी बंद कर दिया गया है, कुल मिलाकर यह पॉलिसी कर्मचारी हित में नहीं है। एक लोकतांत्रिक देश में दो तरह की पेंशने दी जा रही है, परंतु संविधान के अनुसार सभी नागरिक एक समान हैं तो फिर अलग-अलग तरह की पेंशनें क्यों दी जा रही हैं। क्या लोकतंत्र की परिभाषा बदल दी गई है। रिटायरमेंट के बाद क्या पेंशन विहीन व्यक्ति पांच सौ और एक हजार रुपए में गुजारा कर पाएगा। 2003 में दो राज्यों आंध्र प्रदेश व पश्चिमी बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने कुछ करोड़ पाने के लिए सरकारों ने अपने कर्मचारियों की पेंशनें बंद कर दी थीं, जिसमें हिमाचल प्रदेश अग्रणी रहा था  जिस कारण आज लाखों कर्मचारियों का भविष्य दाव पर लग चुका है। संघों ने कहा कि पेंशन सरकारों की तरफ से दी जाने वाली खैरात नहीं, अपितु यह हर कर्मचारी का हक़ है जिसे कर्मचारी किसी भी हालत में लेकर रहेंगे। पंचरुखी खंड प्रधान प्रवीण कुमार ने कहा कि अभी तो सभी कर्मचारी काले रिब्बन लगा कर एनपीएस का विरोध कर रहे हैं। अध्यापक संघ अंतिम बार सरकार से आग्रह करता है कि पुरानी पेंशन को कर्मचारी हित में लागू किया जाए या फिर सब की पेंशन बंद की जाए, ताकि समानता के अधिकार की रक्षा हो।