बिलासपुर में ‘किसान के खेत में अनुसंधान’

By: Mar 8th, 2017 12:01 am

बिलासपुर — प्रदेश में कांगड़ा के बाद अब बिलासपुर जिला के किसान भी व्यवस्थित खेती करना सीखेंगे। इस बाबत पालमपुर में संचालित व्यवस्थित कृषि अनुसंधान संस्थान (सिस्टेमैटिक फार्मिंग रिसर्च इंस्टीच्यूट) का ‘किसान के खेत में अनुसंधान’ नामक प्रोग्राम बिलासपुर शिफ्ट हो गया है, जिसका शुभारंभ 10 मार्च को धौनकोठी में होगा। इस मौके पर संस्थान के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डा. एस पंवार और पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के उपकुलपति अशोक कुमार सरियाल तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की गवर्निंग बॉडी के सदस्य सुरेश चंदेल शिरकत करेंगे। उल्लेखनीय है कि हिमाचल में पालमपुर में एकमात्र व्यवस्थित कृषि अनुसंधान संस्थान संचालित किया जा रहा है। अभी तक ‘किसान के खेत में अनुसंधान’ नामक प्रोग्राम का संचालन कांगड़ा जिला में ही किया जा रहा था, लेकिन अब बिलासपुर जिला के लिए यह प्रोग्राम शिफ्ट कर दिया गया है। केंद्र से आदेश जारी होने के साथ ही बिलासपुर में कार्यालय खोलने को लेकर तय औपचारिकताएं भी पूरी कर ली गई हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सदस्य सुरेश चंदेल ने प्रोग्राम बिलासपुर शिफ्ट करने के लिए कृषि मंत्रालय भारत सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसे हरी झंडी मिलने के बाद अब आदेश भी जारी हो चुके हैं। फिलहाल यह सब-सेंटर एक किराए के भवन में संचालित किया जाएगा और फिर बाद में इसका आधारभूत ढांचा विकसित किया जाएगा। इस संस्थान के बिलासपुर में खुलने से निश्चित तौर पर कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक विकसित होगी और किसान नई तकनीक के तहत खेतीबाड़ी कर सकेंगे। इस सेंटर में दो विशेषज्ञ और अन्य चार-पांच कर्मचारियों का स्टाफ कार्यरत होगा। अहम बात यह है कि मक्की और अरहर को नई तकनीक के तहत एक साथ कैसे उगाया जा सकता है, इसके बारे में भी किसानों को डैमो या अन्य प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से बताया जाएगा। यही नहीं, लावारिस पशुओं से खेती को बचाने के लिए खेतों के चारों ओर बाड़ आदि लगाने और बाड़ में नींबू प्रजाति के फलों के साथ ही अन्य फलदार पौधे लगाने के बारे में तकनीक बताई जाएगी।


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