युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं महाशय धर्मपाल

चंडीगढ़ —  सत्य, दया, परोपकार, प्रेम करूणा एवं इमानदारी जैसे मानवीय सद्गुणों से ओतप्रोत शानदार एवं आकर्षक व्यक्तित्व वाले सदाबहार इनसान एवं सफल उद्योगपति महाशय धर्मपाल नई पीढ़ी के युवाओं के लिए प्ररेणास्रोत हैं सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय ही उनका मूलमंत्र है, जो उनके विराट एवं उदार हृदय, सकारात्मक दृष्टिकोण तथा मानवता के प्रति सच्ची आस्था का स्पष्ट परिचायक है। 27 मार्च, 1923 को सियालकोट (पाकिस्तान) में जन्मे महाशय धर्मपाल की आरंभिक शिक्षा दीक्षा ठीक से नहीं हो सकी मगर उनकी व्यावहारिक बुद्धि बेमिसाल है। किसी भी ब्रांड की पहचान उसके एंबेसेडर से होती है और जब एक वरिष्ठ नागरिक का मुस्कराता चेहरा राजस्थानी पगड़ी लगाए सामने आता है, तो उस ब्रांड की विश्वसनीयता पर निर्विवाद रूप में विश्वास हो जाता है-जी हां यह बात है एमडीएच मसालों के ब्रांड एंबेसेडर महाशय धर्मपाल जी की जो स्वयं ही ब्रांड बन चुके हैं। बहुधा घरों में बच्चों को ‘असली मसाले सच सच’ के ब्रांड एंबेसेडर के रूप में आने-जाने वाले सहज ही पहचान लेते हैं। यह लोकप्रियता एक दिन में अर्जित नहीं की गई है इसको स्थापित करने मेें महाशय जी ने अथक परिश्रम किया है। एक साधारण तांगा चलाने वाला आज एमडीएच का चेयरमैन बन सका है। इसके पीछे अनेक कुर्बानियां छिपी हैं। पाकिस्तान में अपना सब कुछ छोड़कर आने के बाद 1500 रुपए लेकर एक युवक दिल्ली आया, जहां उसने तांगा घोड़ा खरीदकर उसे चलाने का काम किया। इस युवक का पुश्तैनी काम सियालकोट में मशहूर देगी मिर्च बनाने का था तो तांगा चलाना छोड़कर रोजी के लिए अनेक काम किए, किंतु अंततः उसे अपने पुश्तैनी काम में ही सफलता मिली-गफ्फार मार्केट में एक छोटे से खोखे पर अपने हाथों से मसाला कूटकर पुडि़यों में उसे बेचने का काम शुरू किया यह काम चल निकला प्रयास करके इस युवक ने कीर्ति नगर में एमडीएच के लिए एक स्थान ढूंढा, जो आज मसालों के इस एंपायर का कारपोरेट ऑफिस बन गया है।