युवा जरूरतों को भी समझे बजट

By: Mar 6th, 2017 12:02 am

( अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं )

बड़ी तेजी से विकसित हो रहे हमारे कस्बों, शहरों में छोटे उद्यमियों को लघु उद्योग लगाने हेतु प्रोत्साहित किया जाए, ताकि वे अपने यहां पांच-दस बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रदान कर सकें। इसके लिए इन उद्यमियों को रियायती दरों पर ऋण सुविधाएं और टैक्स माफी, बिजली-पानी की सुविधाएं  उपलब्ध करवाई जानी चाहिए…

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह 10 मार्च को 20वीं बार प्रदेश का बजट पेश करते समय चुनावी वर्ष में अपने पिटारे से राज्य के सभी वर्गों के लिए किन-किन सौगातों की घोषणा करते हैं, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। वैसे भी प्रदेश सरकार अपने कार्यकाल के चार वर्ष पूरे होने पर कई तरीकों से अपनी उपलब्धियों का ब्यौरा आम जनता तक पहुंचाने में जुटी हुई है। इसके अलावा ‘औद्योगिकीकरण से स्वावलंबन की ओर बढ़ते कदम’ जैसे नारों के साथ सरकार ने ‘रोजगार के हों अवसर अपार’ को अपना ध्येय वाक्य घोषित कर यह भी जताने की भरपूर कोशिश की है कि प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी को थामने अथवा युवाओं को स्वरोजगार अपनाकर काम धंधों में लगाने को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल कर लिया है। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के अभिभाषण के साथ ही पहली मार्च को प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र की विधिवत शुरुआत हो चुकी है। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने भी अपने संबोधन में प्रदेश सरकार की चार वर्षों की उपलब्धियों पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में किए वादों के पूरा होने की बात कही है। उनके अनुसार कौशल विकास भत्ता योजना द्वारा सरकार ने 500 करोड़ रुपए की कौशल विकास भत्ता योजना लागू की है। चालू वित्त वर्ष में इस योजना के अंतर्गत 72 हजार 351 लाभार्थियों में 33 करोड़ 25 लाख रुपए वितरित किए गए हैं, जबकि योजना शुरू होने के बाद से 31 दिसंबर, 2016 तक एक लाख 58 हजार 100 युवाओं में 116 करोड़ रुपए बांटे जा चुके हैं।

बेरोजगार युवाओं को कौशल विकास भत्ता प्रदान किए जाने की योजना का उल्लेख वित्त वर्ष 2013-14 में मुख्यमंत्री ने अपने बजट भाषण में किया था, ताकि शिक्षित बेरोजगार व्यक्तियों को उनके कौशल विकास हेतु भत्ता प्रदन किया जा सके। इस योजना का उद्देश्य पात्र शिक्षित हिमाचली बेरोजगार युवाओं को उनके कौशल विकास में बढ़ोतरी करने के साथ अपने रुचि के क्षेत्र में रोजगार अथवा स्वरोजगार अर्जित करने हेतु समर्थ बनाना था। इसके लिए प्रदेश सरकार ने अनूठी पहल करते हुए प्रदेश के शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए कौशल विकास भत्ता योजना-2013 की शुरुआत की है। आज प्रदेश भर में बड़ी संख्या में सरकारी एवं निजी क्षेत्र में कौशल विकास केंद्र और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाएं युवाओं को हुनरमंद बनाने की दिशा में प्रयासरत्त हैं। हिमाचल प्रदेश के 12 जिलों में सरकारी एवं निजी क्षेत्र में लगे बहु कौशल विकास संस्थानों की कुल संख्या 792 है। सरकार द्वारा विभिन्न जिला मुख्यालयों में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति के साथ-साथ कौशल विकास निगम की स्थापना की गई है। सरकार ने जैव विज्ञान में प्रोडक्शन केमिस्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम, कपड़ा क्षेत्र में रिंग डोफर फ्रेम, सामान्य ड्यूटी सहायक (स्वास्थ्य) खुदरा बिक्री सहायक, मोटर वाहन, फर्नीचर, आतिथ्य सत्कार, सूचना प्रौद्योगिकी इत्यादि क्षेत्रों में कौशल उन्नयन हेतु कई पाठयक्रमों की शुरुआत की है। यह सब इसलिए, ताकि हमारे युवा अपनी रुचि के क्षेत्रों में हुनरमंद बनकर स्वरोजगार की राह पर अग्रसर हों। आज आवश्यकता इस बात की भी है कि बड़ी तेजी से विकसित हो रहे हमारे कस्बों, शहरों में छोटे उद्यमियों को लघु कुटीर अथवा छोटे उद्योग लगाने हेतु प्रोत्साहित किया जाए, ताकि वे अपने यहां पांच-दस बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रदान कर सकें।

इसके लिए इन उद्यमियों को रियायती दरों पर ऋण सुविधाएं, टैक्स माफी, बिजली-पानी की सुविधाएं और कम दरों पर बिजली सुविधाएं उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। हिमाचल प्रदेश के उभरते कस्बों-शहरों में सरकारी भूमि पर छोटे-छोटे औद्योगिक जोन बनाकर युवा उद्यमियों को दिए जाएं और उन्हें समयबद्ध कार्यक्रम में अपना उद्यम स्थापित कर शुरू करने के साथ बेराजगार हिमाचली युवाओं को अपने यहां शत-प्रतिशत रोजगार देने की शर्त जोड़ी जाए और मुख्यमंत्री अपने बजट भाषण में इसका उल्लेख करें। इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार के समक्ष फौज और केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों में हमारे युवाओं के लिए भर्ती कोटा बढ़ाए जाने की मांग मजबूती से उठाए। डोगरा रेजिमेंटल ट्रेनिंग सेंटर के अलावा केंद्रीय बलों के रेजिमेंटल ट्रेनिंग सेंटर्स की स्थापना हिमाचल में हो, इसके लिए भी सार्थक प्रयास होने चाहिए। साहसिक पर्यटन के रूप में बैजनाथ में बिलिंग क्षेत्र को पहचान मिली है और स्थानीय युवाओं को रोगजार मिला है। वैसे ही प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी ऐसे स्थलों की पहचान कर उन्हें विकसित किया जाना चाहिए और इसके लिए बजट प्रावधान होना चाहिए। अंततः जब हम संसाधनों की बात करते हैं तो सबसे पहले प्राकृतिक संसाधनों की और मानव निर्मित संसाधनों की चर्चा करते हैं, लेकिन बीत 3-4 दशकों में स्वयं मानव को एक बहुमूल्य संसाधन के रूप में स्वीकार कर उसे कौशल युक्त, क्षमतावान और हुनरमंद बनाकर राज्य एवं देश के विकास में उनकी योग्यताओं का भरपूर दोहन करने तथा उन्हें स्वरोजगार द्वारा आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की दिशा में कौशल विकास भत्ता योजना के रूप में एक ठोस पहल की सराहनीय शुरुआत हुई है और बेरोजगार युवाओं को बैठे-बिठाए मुफ्त में बेरोजगारी भत्ता देकर उन्हें अक्षम बनाने के बजाय उन्हें हुनरमंद बनाकर अपने पैरों पर खड़ा करना ज्यादा फायदेमंद निवेश माना जाना चाहिए। इसलिए कौशल विकास भत्ता योजना को और मजबूती प्रदान करने के लिए बजट प्रावधान किए जाने की आवश्यकता है।

ई-मेल : rmpanuj@gmail.com


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