वोट-वादों का बजट

By: Mar 5th, 2017 12:05 am

चुनावी साल में वीरभद्र सिंह के हाथों पेश होने वाले बजट में बेशक वोट-वादे टॉप ट्रेंड करेंगे। चार साल में दी गई नौकरियों के अलावा इलेक्शन से पहले मनभावन सौगातों का टी-20 भी दिखने के आसार हैं। कैसा रहेगा बजट का एजेंडा, ‘दिव्य हिमाचल’ के नजरिए से इस बार के दखल में …

छोटे पहाड़ी राज्य में विकास के लिए हमेशा केंद्र सरकार की ओर देखना पड़ता है। उस पर राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति इतनी खस्ता है कि वह अपने दम पर विकास को चाहकर भी नहीं कर सकती। हिमाचल प्रदेश 35 हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज तले दबा हुआ है,उस पर प्रदेश का संपूर्ण विकास एक बड़ी चुनौती है। इस चुनौती से पार पाकर प्रदेश के चहुंमुखी विकास का बजट देना आसान नहीं है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अपने छठे कार्यकाल का यह आखिरी बजट पेश करने जा रहे हैं, जिनके सामने सबसे बड़ी चुनौती चुनाव की है क्योंकि यह चुनावी वर्ष का बजट होगा और इसे लोकलुभावना बनाना बेहद जरूरी है। राज्य के हरेक वर्ग के विकास के लिए अलग-अलग योजनाओं की घोषणा, उनको रियायतों की घोषणा इस बजट में होगी। सरकार के सामने बेरोजगारी भत्ता भी एक बड़ा सवाल है और माना जा रहा है कि इसे लेकर अब सरकार को कुछ करना ही होगा। ऐसे में इस बजट में न केवल मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को अपनी खूबियां डालनी होंगी बल्कि उनके आर्थिक विशेषज्ञों को भी पहले से हटकर कुछ अलग ही देना होगा। इसी कशमकश में इन दिनों टीम बाल्दी अपना काम कर रही है, जो कि कई साल से बजट बना रहे हैं।

वित्तीय जमा-जोड़

सैलरी बजट – 9000 करोड़

पेंशन  – 4500 करोड़

करों से आय – 6340 करोड़

गैर कर आय – 1507 करोड़

ऋण बोझ – 35000 करोड़

ऋण पर ब्याज  – 3000 करोड़

कौशल विकास पर दांव

युवाओं के लिए कौशल विकास के लिए केंद्र सरकार योजना चला रही है और अगले बजट में भी इसका प्रावधान है। उसके तहत राज्य को जो पैसा मिलेगा उसमें हिमाचल सरकार अपनी हिस्सेदारी डालकर इसे बजट में शामिल कर सकती है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में यहां नए पीएचसी खोलने व पुराने पीएचसी को अपगे्रड करने के लिए सरकार अपने खाते से बजट देती है परंतु स्वास्थ्य क्षेत्र में भी केंद्र की कई बड़ी योजनाएं राज्यों में कारगर साबित हो रही हैं। इस बजट में भी स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए केंद्र सरकार की घोषणाओं के अनुरूप योजनाएं शामिल होंगी,जिसमें भी राज्य को अपनी हिस्सेदारी देनी होती है।

नई योजनाएं कम ही …

इस दफा केंद्र सरकार ने भी अपने बजट में उतनी अधिक घोषणाएं नहीं कीं, परंतु जिसकी चर्चा आम आदमी कर रहा है, ऐसे में प्रदेश के बजट में केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही पुरानी योजनाओं की ही झलक दिखेगी।

नए डाक्टर रखने की प्रक्रिया

शिक्षा क्षेत्र में अनुबंध अध्यापक लगाए गए,वहीं स्वास्थ्य क्षेत्र में नए डाक्टरों के पद भरने की प्रक्रिया लगातार जारी है। इसमें फार्मासिस्टों व अन्य संबंधित स्टाफ की पूर्ति भी की जा रही है।

युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों को कुछ खास

बढ़ सकती है विधायक निधि, आपदा राहत में बढ़ोतरी के साथ निकायों व पंचायतों को भी राहत

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह 10 मार्च को जो बजट पेश करने जा रहे हैं, उसमें इस बार वित्त विभाग व योजना विभाग ने मुख्यमंत्री के निर्देशों पर युवाओं, महिलाओं व बुजुर्गों के लिए खास कार्यक्रम तैयार किए हैं। मौजूदा सरकार का चुनावी वर्ष में यह अंतिम बजट है। लिहाजा सरकार एक तो फिर से टैक्स फ्री बजट पेश कर सकती है, वहीं कृषकों-बागबानों के लिए लोक लुभावनें ऐलान हो सकते हैं।  सरकार का ऋण बोझ 35 हजार करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका है। सरकार संसाधन कैसे बढ़ाएगी, आमदन व खर्च में संतुलन कैसे बिठाएगी, इसे लेकर खास ऐलान हो सकते हैं। विपक्ष चुनावी वर्ष में इस बजट को मुद्दा न बना सके, लिहाजा बेरोजगारों के लिए भी खास ऐलान हो सकते हैं। सूत्रों का दावा है कि फिर से विधायक निधि में भी बढ़ोतरी हो सकती है। आपदा राहत में बड़ी बढ़ोतरी के साथ स्थानीय निकायों व पंचायतों के लिए भी बड़े ऐलान करने की तैयारी है।  सूत्रों के मुताबिक अभी तक जो वित्त विभाग व योजना बोर्ड इस संदर्भ में मुख्यमंत्री के निर्देशों पर काम कर चुके हैं, उसमें स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल,सिंचाई व कृषि के साथ-साथ बागबानी को खास त्वज्जो है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निर्देशों पर सामाजिक क्षेत्र के लिए भी अलग से योजनाएं तैयार किए जाने की सूचना है। यानी महिला वर्ग के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी नए ऐलान देखने को मिल सकते हैं।

बेरोजगारी भत्ते का दबाव

प्रदेश सरकार ने चुनाव घोषणा पत्र में वादा कर रखा है कि वह बेरोजगारी भत्ता देगी। अब यह मुद्दा राजनीतिक रंग पकड़ चुका है और इस समय सरकार पर इसका खासा दबाव है। उम्मीद की जा रही है कि बजट में मुख्यमंत्री बेरोजगारी भत्ते से संबंधित कोई घोषणा करें क्योंकि चुनावी समय में यह अहम मुद्दा है और युवा वर्ग इससे सीधे रूप से प्रभावित होता है।

विपक्ष भी सहमा

यही नहीं बजट में संभावित घोषणा को देखते हुए विपक्षी दल भी सहमा हुआ है,जिसने भी युवाओं को 7200 करोड़ रुपए का बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही है। विपक्ष का कहना है कि चार साल पहले ये घोषणा हुई थी । लिहाजा एरियर के साथ प्रत्येक युवा को 60 हजार रूपए बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाए। फिलहाल कांग्रेस संगठन इस पर मंथन कर रहा है।

एनएच विंग मजबूत करने का हो सकता है ऐलान

नए नेशनल हाई-वे के लिए केंद्र सरकार बजट का प्रावधान करेगी, लेकिन इनके क्रियान्वयन का दायित्व हिमाचल सरकार पर है। ऐसे में सरकार मौजूदा बजट में एनएच के लिए विभागीय ढांचे के  विस्तार के ऐलान सहित कुछ अन्य प्रावधान कर सकती है। एनएच विंग के तहत कार्यालय खोलने का ऐलान इसमें किया जा सकता है।  हिमाचल को केंद्र सरकार ने 61 नए राष्ट्रीय राजमार्गों की सौगात दी है। राजमार्गों के लिए बजट केंद्र सरकार ही मुहैय्या करवाएगी, वहीं इनके क्रियान्वयन की जिम्‍मेंदारी हिमाचल सरकार की है। ऐसे में हिमाचल सरकार अपने बजट में इन राजमार्गों के लिए मानव  संसाधन व अन्य सुविधाओं का प्रावधान कर सकती है।  माना जा रहा है कि सरकार बजट में पूरे सड़क ढांचे के विकास के लिए धन के साथ-साथ राष्ट्रीय राजमार्ग विंग को मजबूत करने के लिए कदम उठा सकती है। इनमें राष्ट्रीय राजमार्ग के विंग के लिए नए डिवीजनल कार्यालय खोलना भी शामिल है।

* जल्द ही चुनाव आने वाले हैं। ऐसे में बजट  में आम लोगों के लिए बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं। शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण जनता को भी बजट में तोहफे मिल सकते हैं। आने वाले समय में जीएसटी लागू होने वाला है। ऐसे में आय के साथ शायद ही कोई छेड़छाड़ हो । युवाओं के लिए रोजगार भत्ता जैसे लुभावने वादे जरूर किए जा सकते हैं। सरकार के सामने युवा बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। ऐसे में कोशिश की जानी चाहिए कि सरकार कुछ ऐसे प्रावधान करे  कि प्रदेश में ज्यादा निवेशक आए और युवाओं को रोजगार के अवसर मिलें

— प्रो. एन के शारदा पूर्व प्रति कुलपति एचपीयू

* इस सरकार के शासनकाल का आखिरी बजट है। ऐसे में बजट में काफी कुछ हो सकता है। बेरोजगारी भत्ता और कौशल विकास भत्ते पर भी सरकार कुछ कर सकती है। इस बार उम्मीद है कि सरकार आम लोगों को लेकर बड़ी घोषणाएं बजट में कर सकती है। इसमें हर वर्ग को लुभाने के लिए कुछ न कुछ आ सकता है। संक्षेप में कहें तो इस बार का बजट जनता को रिझाने वाला बजट हो सकता है। सरकार को चाहिए कि वह बेरोजगारी की समस्या पर गंभीरता से विचार करें

— प्रो. सिकंदर कुमार, अर्थशास्त्र विभाग एचपीयू

‘सरकार’ये वादे हैं अधूरे

कांगेस ने चार वर्ष पहले प्रदेश के लोगों से चुनावी संध्या पर घोषणा पत्र जारी करते हुए जो वादे किए थे, उनमें से हालांकि अधिकांश पूरे भी किए जा चुके हैं, मगर  कई बड़े वादे ऐसे हैं, जिन्हें अभी निभाने की आवश्यकता है। इनमें बेरोजगारी भत्ता सबसे बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है। चर्चा यही है कि वीरभद्र सरकार इसका ऐलान कर सकती है। सरकार ने दावा यही किया है कि कर्मचारियों के अधिकांश वादे पूरे किए जा चुके हैं। एक वर्ष में उन्हें 700 करोड़ के लाभ दिए हैं। मगर 4-9-14 के स्केल की मांग अभी तक वैसे ही पड़ी है। महंगाई भत्ते की जो किस्त 7 फीसदी के हिसाब से देय थी, उसका 2 प्रतिशत ही जारी हो सका है। कई वर्गों के कर्मचारियों की वेतन विसंगतियां दूर नहीं की जा सकी है।  प्रशासनिक ट्रिब्यूनल पिछली सरकार ने बंद किया था। कांग्रेस का घोषणा पत्र में वादा था कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को न केवल खोला जाएगा, बल्कि मंडी व धर्मशाला में इसकी बैंच स्थापित की जाएगी। कांग्रेस सरकार यह वादा पूरा नहीं कर सकी है। हालांकि शिमला में ट्रिब्यूनल सफलतापूर्वक चलाया जरूर जा रहा है।

सरकार यूं भरेगी हुंकार

एक लाख से ज्यादा रोजगार देने का दावा

कांग्रेस सरकार का दावा है कि उसने अपने चार साल के कार्यकाल में एक लाख से अधिक लोगों को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्रदान किया है। 30 हजार के करीब नई सरकारी भर्तियां की गई हैं।  इसके अलावा विभागों में आउटसोर्सिंग के जरिए, अनुबंध आधार पर रोजगार प्रदान किया गया है। वहीं औद्योगिक व सार्वजनिक क्षेत्र में करीब 70 हजार से अधिक को रोजगार प्रदान किया गया है। पिछले साल मुख्यमंत्री ने 25 हजार नौकरियों का वादा किया था, जिसे लेकर लगातार घोषणाएं भी हुई हैं।

जिला परिषदों को राहत के आसार

केंद्र सरकार ने 14वें वित्तायोग की सिफारिशों के अनुसार हिमाचल को भी अधिक धनराशि उपलब्ध करवा रखी है और उस पैसे से यहां पर ग्रामीण विकास के काम किए जा रहे हैं। पंचायतों को अब सीधे रूप से करोड़ों रुपए मिल रहा है, जिसमें राज्य का कोई दखल नहीं है। इसके विपरीत जिला परिषदों को वित्तीय शक्तियां प्रदान करने के लिए बजट में कुछ प्रावधान किया जा सकता है।

आबकारी महकमे का टारगेट बढ़ेगा

इस दफा सरकार को जीएसटी का भी सहारा रहेगा। जुलाई महीने में जीएसटी लागू किया जाएगा,जिसमें हिमाचल को भी उसका शेयर मिलेगा। इसके साथ यहां आबकारी महकमे का टारगेट भी बढ़ेगा, वहीं जीएसटी से  कमाई काफी ज्यादा बढ़ जाएगी। उस राशि का अनुमान लगाकर सरकार बजट में प्रावधान रख सकती है।

आईटी क्षेत्र में ज्यादा रोजगार

सरकारी विभागों में इस वित्त वर्ष में सबसे अधिक रोजगार आईटी क्षेत्र में उपलब्ध करवाया गया है। विभागीय कार्यप्रणाली को ऑनलाइन किया गया है,जिसके चलते आईटी क्षेत्र से जुड़े युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार मिला है।

बिजली बोर्ड में भर्तियों की प्रक्रिया जारी

पुलिस विभाग में भी नई भर्तियां की गई हैं वहीं वन महकमे में भी विभिन्न पदों पर भर्तियां हुईं। बिजली बोर्ड में 2500 से अधिक तकनीकी श्रेणी के पद भरने को सरकार ने मुहिम चला रखी है।

जीएसटी से संवरेगी स्थिति!

जीएसटी लागू होने के बाद हिमाचल की वित्तीय स्थिति में सुधार आने की उम्मीद है। देशभर में समान टैक्स दरों के चलते हिमाचल का एक बड़ा वर्ग बाहरी राज्यों में खरीददारी से परहेज करेगा। प्रदेश में सेब बागबान व अन्य सभ्रांत वर्ग शॉपिंग के लिए चंडीगढ़, दिल्ली व पंजाब जैसे राज्यों का रुख करते हैं। विशेषज्ञों ने जो जमा-जोड़ किया है, उसके मुताबिक जीएसटी से प्रदेश की आर्थिक स्थिति में सुधार आने की संभावना है।

दर्जा विशेष श्रेणी का और योजनाओं में कटौती

मोदी सरकार ने भले ही हिमाचल का विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा बहाल कर दिया हो, मगर अभी भी ऐसी कई केंद्रीय योजनाएं हैं, जिनमें पूर्वोत्तर राज्यों की तर्ज पर 90:10 अनुपात में सहायता राशि प्रदेश को नहीं मिल पा रही है। इससे हट कर भी ऐसी कई बड़ी योजनाएं हैं, जिनमें हिमाचल को त्वज्जो नहीं मिल रही। मिसाल के तौर पर हेलि टैक्सी सेवा में पूर्वोत्तर राज्यों को वाईबिलिटी गैप फंडिंग के तहत सहायता राशि दी जा रही है, मगर हिमाचल द्वारा बार-बार मांग रखे जाने के बावजूद  इसे खारिज किया जाता रहा। अब जिन नई योजनाओं का मोदी सरकार ऐलान करने जा रही है, उनमें 80:20 के अनुपात में ही सहायता राशि मिलेगी। हालांकि 20 से भी ज्यादा ऐसी योजनाएं हैं, जिनमें 90:10 अनुपात में लाभ मिल भी रहा है। इनमें मनरेगा, एसएसए, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, नेशनल अर्बन मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वच्छ पेयजल, मिड-डे मील, स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना, पीएमजीएसवाई, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल विकास योजना, स्मार्ट सिटी मिशन और अमृत जैसी योजनाएं शामिल हैं।

कमाई 7500 करोड़ खर्चा 32500 करोड़

प्रदेश की मौजूदा स्थिति यहां तक आ पहुंची है कि गैर योजना की 48 फीसदी राशि वेतन भत्तों व पेंशन के साथ-साथ 45 से भी ज्यादा बोर्ड-निगमों के अध्यक्षों-उपाध्यक्षों और सेवाविस्तार पाने वाले अधिकारियों पर खर्च किया जा रहा है। आलम यह हो चुका है कि कमाई विभिन्न मदों से सालाना 7500 करोड़ है, जबकि खर्च 32500 करोड़ (वित्त वर्ष 2016-17) है। हिमाचल पौने दो लाख के लगभग कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर सालाना 9000 करोड़ खर्च कर रहा है। पेंशन मिलाकर यह राशि 15 हजार करोड़ पहुंच चुकी है। इसमें सेवानिवृत्त अधिकारियों व कर्मचारियों के सेवाविस्तार भी की शामिल बताई गई है। इसमें 36 बोर्ड-निगमों के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष भी शुमार हैं। हिमाचल को पर्यटन, ऊर्जा व अन्य प्राकृतिक संसाधनों के जरिए राजस्व बढ़ाने के मौके मिलते हैं। इनमें औद्योगिक विस्तार भी शामिल है, मगर पिछले  अरसे से इन मदों से हासिल होने वाले राजस्व में कोई ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज नहीं हो सकी है। यही वजह है कि कर्ज बोझ 31 मार्च 2017 को 35 हजार करोड़ का आंकड़ा भी पार करने जा रहा है। जानकारों के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में गैर योजना बजट में इन्हीं सब के चलते सात से आठ फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है।

केंद्रीय योजनाओं की रहेगी छाया

इस साल के बजट की बात करें तो इसमें  भी पिछले साल की तरह ही केंद्रीय योजनाओं पर अधिक निर्भरता रहेगी। केंद्र सरकार द्वारा घोषित की गई योजनाओं में राज्यों को क्या कुछ मिलेगा, उसे देखते हुए राज्य के बजट में भी प्रावधान करने होंगे। क्योंकि यहां अपने दम पर कुछ नहीं किया जा सकता, लिहाजा केंद्र सरकार की योजनाओं पर इस बार अधिक ध्यान रहेगा। ग्रामीण विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित योजनाओं को यहां पर लागू करने के लिए बजट में प्रावधान रखे जाएंगे। इसके साथ शिक्षा, सड़क व स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी केंद्रीय योजनाओं की झलक इस बजट में दिखाई देगी। राज्य में कृषि क्षेत्र के विस्तारीकरण के लिए प्रदेश सरकार केंद्र की प्रधानमंत्री ग्रामीण सिंचाई योजना पर आश्रित है। इस योजना के तहत राज्यों को जो कुछ दिया गया है, उससे हिमाचल का भला हो सकता है। हिमाचल ने करोड़ों रुपए की सिंचाई योजनाएं केंद्र को भेजी हैं और उन योजनाओं को यदि केंद्र सरकार मंजूरी प्रदान करती है तो यहां पर हरेक जिला में कई सिंचाई योजनाएं शुरू होंगी, जिससे सिंचाई क्षेत्र बढ़ सकेगा। प्रदेश के बजट में इन घोषणाओं का जिक्र आ सकता है।  इसके साथ सड़कों के क्षेत्र में हिमाचल  सालाना लक्ष्य रखेगा और यह लक्ष्य भी केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं में ही शामिल रहता है। यहां पर पीएमजीएसवाई के साथ नेशनल हाई-वे के निर्माण की योजनाओं को भी राज्य सरकार अपने बजट में डालेगी क्योंकि इन केंद्रीय योजनाओं में हिमाचल का हिस्सा भी रहता है। ऐसे में अपनी हिस्सेदारी से बनने वाली योजनाओं को राज्य के बजट में शुमार किया जाता रहा है।

सूत्रधार : सुनील शर्मा, शकील कुरैशी अंजना ठाकुर, खुशहाल सिंह


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