साइंटिस्ट सीवी रमन किए याद

बीबीएन— छात्रों के बीच वैज्ञानिक स्वभाव को जगाने के प्रयास में बद्दी यूनिवर्सिटी में प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. सीवी रमन की महत्त्वपूर्ण खोज, रमन प्रभाव को चिह्नित करने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का उत्सव मनाया गया। डॉ. सीवी रमन को उनकी इस महत्वपूर्ण खोज  के लिए वर्ष 1930 में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत बद्दी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. डॉ. शक्ति कुमार, रजिस्ट्रार अजय  सिंह , एडवाइजर बी. बनर्जी , डीन फार्मेसी प्रो. डॉ. टीआर भारद्वाज, डीन एसएमएस और अकॅडेमिक्स प्रो. डॉ. जॉर्ज थॉमस, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. डॉ. विनय भाटिया, आरएंडडी प्रो. नितिन वर्मा और एसोसिएट डीन डा. विजेंदर सिंह ने दीप प्रज्वलित कर की। इसके बाद स्कूल ऑफ साइंसेज की छात्राओं ने सरस्वती वंदना के जरिए कार्यक्रम का आरभ किया। कार्यक्रम की शुरूआत में महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद जी को श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर बद्दी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. डॉ. शक्ति कुमार ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. सीवी रमन जी को श्रद्धांजलि देते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का दिव्यांग लोगों के लिए महत्त्व पर व्यायान किया। उन्होंने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उद्देश्यों की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि कैसे रंग का अंधापन, अंधापन और बहरापन की समस्या को दूर करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में मदद मिली है। उन्होंने इन नवीनतम स्टेट ऑफ आर्ट के कामकाज को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी दिल विफलता, मधुमेह पीडि़त, पेन्क्रियास रोग, कैंसर व अन्य अंगों संबंधित बीमारियों में कैसे सहायता करता है। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी की महत्वता बताते हुए ये भी बताया कि माइटोकॉन्ड्रिया रोगी भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी द्वारा इस बीमारी से निजात पा सकते है और तीन पैरेंट तकनीक की मदद से स्वस्थ संतान को जन्म दे सकते है। इस तकनीक से मैक्सिको सिटी में छह अप्रैल, 2016 को सबसे पहले बच्चे का जन्म हुआ। डा. विजेंद्र सिंह ने स्कूल ऑफ साइंसिज में विभिन्न प्रकार की गतिविधियां करवाई, जिसमें ंविज्ञान प्रश्नोत्तरी, पावर प्वाइंट प्रस्तुति, डिबेट, पोस्टर मेकिंग, मॉडल एक्सहिबिशन और कंपीटिशन जैसी कई और प्रतियोगिताएं थी। इस प्रतियोगिता में स्नातक और स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।