हिमाचल की चोटियों पर पिघली 35% बर्फ

By: Mar 14th, 2017 12:15 am

स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंज की रिपोर्ट में खुलासा

newsपतलीकूहल – प्रदेश की सभी चोटियों पर दिसंबर में बर्फ 25 से 35 फीसदी तक कम हुई है। जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण वैज्ञानिकोें को पर्यावरण में आने वाले इस असंतुलन से चिंता होने लगी है। प्रदेश के बासपा बेसिन में वर्ष 2010-14 में दिसंबर में जहां 609 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हिमपात हुआ, वहीं वर्ष 2015-16 में 390 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बर्फ दर्ज की गई, जिसमें 35 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। स्पीति बेसिन में वर्ष 2010-14 की तुलना में वर्ष 2015-16 में 25 फीसदी कम दर्ज की गई। रावी बेसिन में वर्ष 2010-14 में दिसंबर में 1811 वर्ग किमी क्षेत्र बर्फ पड़ी, जबकि वर्ष 2015-16 में 1138 वर्ग किमी क्षेत्र में दर्ज की गई, जिसमें 37 फीसदी की कमी आई है। चंद्रा बेसिन वर्ष 2010-14 में दिसंबर महीने में 1950 वर्ग किमी में बर्फ पड़ी और वर्ष 2015-16 में 2044 वर्ग किमी क्षेत्र में बर्फ पड़ी जिसमें की चार फीसदी का इजाफा हुआ है। भागा बेसिन में वर्ष 2010-14 में दिसंबर में 1304 वर्ग किमी क्षेत्र, और वर्ष 2015-16 में 1307 वर्ग किमी क्षेत्र में बर्फ दर्ज की गई, जिसमें 0.2 फीसदी का इजाफा हुआ है। ब्यास बेसिन में वर्ष 2010-14 में दिसंबर में 475 वर्ग किमी क्षेत्र में हिमपात हुआ और वर्ष 2015-16 में 288 वर्ग किमी क्षेत्र में हिमपात हुआ, जिसमें 39 फीसदी की कमी दर्ज की गई। स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंज के सीनियर साइंटिफिक आफिसर एसएस रंधावा के अनुसार सेटेलाइट  से प्राप्त आंकड़ों के तहत वर्ष 2015-16 में सीजनल बर्फबारी औसतन वर्ष 2010-14 की तुलना में कम दर्ज की गई, जिसमें चंद्रा, भागा, मियाड़, ब्यास पार्वती, जिवा, बासपा, पिन और स्पीति सब बेसिन में अक्तूबर से लेकर अप्रैल तक बर्फ कम दर्ज हो रही है। प्रदेश में जिस तरह से सर्दी के मुख्य महीनों में बर्फबारी कम दर्ज की जा रही है, इससे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं व पर्यावरणीय वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है। पीर पंजाल के नॉर्थ क्षेत्र के बेसिन में साउथ बेसिन के मुकाबले बर्फ के अच्छे परिणाम रहे हैं, लेकिन ब्यास बेसिन के उच्चतम क्षेत्र में वर्ष 2010-14 की तुलना में वर्ष 2015-16 में नेगेटिव परिणाम देखने को मिले हैं, जिसमें 14 से 35 फीसदी तक बर्फ कम दर्ज की गई है। वहीं बासपा बेसिन में वर्ष 2010-14 के बीच अक्तूबर में 427 वर्ग किमी क्षेत्र, नवंबर में 396 वर्ग किमी, दिसंबर में 609 वर्ग किमी, जनवरी में 892 वर्ग किमी, फरवरी में 1051 वर्ग किमी, मार्च में 1046 वर्ग किमी और अप्रैल में 972 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बर्फ के अधीन आया। वहीं वर्ष 2015-16 में अक्तूबर में 364 वर्ग किमी, नवंबर में 410 वर्ग किमी, दिसंबर में 390 वर्ग किमी, जनवरी में 657 वर्ग किमी, फरवरी में 901 वर्ग किमी, मार्च में 850 वर्ग किमी और अप्रैल में 1039 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बर्फबारी के अधीन आया। आंकड़ों के आधार पर बासपा बेसिन में वर्ष 2010-14 की तुलना में 2015-16 में नवंबर व अप्रैल में क्रमशः तीन और छह फीसदी बर्फ अधिक दर्ज की गई। वर्ष 2010-14 की तुलना में वर्ष 2015-16 में अक्तूबर में 14 फीसदी कम, दिसंबर में 35 फीसदी, जनवरी में 26 फीसदी, फरवरी में 14 फीसदी, मार्च में 18 फीसदी कम बर्फ दर्ज की गई है।

जनवरी-मार्च में रिचार्ज हुए ग्लेशियर

वर्ष 2015-16 में हिमाचल के हिमालया में बर्फ की कमी रही है। इस दौरान हिमाचल के ब्यास, पार्वती, जीवा और रावी बेसिन में बर्फ गिरने का आंकड़ा 15 से 35 फीसदी कम रहा है। हालांकि वर्ष 2015-16 में पीर पंजाल रेंज के साउथ एरिया में भी बर्फ कम रही, लेकिन प्रदेश के ब्यास व रावी बेसिन से पीर पंजाल क्षेत्र औसतन बढि़या रहा है। इस वर्ष जनवरी व मार्च में हो रही बर्फबारी चलते प्रदेश के ग्लेशियरों को रिचार्ज होने का अवसर मिल रहा है, जिससे पर्यावरण वैज्ञानिकों की चिंता को आंशिक रूप से बल मिला है।


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