1000 रुपए : बेरोजगारी भत्ता नहीं, चुनावी लालच है

By: Mar 11th, 2017 12:05 am

हिमाचल सरकार का 1000 रुपए बेरोजगारी भत्ता महज चुनावी लालच है। पिछले घोषणा पत्र में इसका वादा किया था, लेकिन दिया नहीं। बेहतर होता युवाओं को करने के प्रति प्रेरित किया जाता। बजट में प्रदेश सरकार की घोषणा पर ऐसी थी कई नौजवानों की प्रतिक्रिया। हालांकि कइयों ने सराहा भी…

नितिन राव की कलम से

भत्ता नहीं, नौकरियां दे सरकार

सचिन कुमार का कहना है कि सरकार का फैसला सही नहीं है। बेरोजगार लोगों को भता न देकर सरकार को नैकरियों के आयाम स्थापित करने चाहिए। नौकरी मिलने पर बेरोजगार बैठकर खाने की नहीं सोचेगा, बल्कि काम में जुटेगा।

जमीन स्तर पर लागू हो फैसला

सुनील कुमार का कहना है कि फैसला सही, लेकिन जमीनी स्तर पर लागू हो। कांग्रेस के सत्ता में आते ही बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन मांगे गए और बहुत से युवाओं को भत्ता मिला भी, लेकिन  कुछेक निजी संस्थानों ने भत्ते पर ही खेलना शुरू कर दिया।

सरकार का फैसला बिल्कुल गलत

सन्नी कुमार का कहना है कि सरकार का यह फैसला सही नहीं है। सरकार बेरोजगारों 1000 रुपए का लालच देकर चुनावों में उतरना चाह रही है। चुनावी घोषणा पत्र में युवाओं को देने की बात कही थी तो इसे चुनावी वर्ष में ही क्यों लागू किया गया।

जिला के बाहर जाने में होगी आसानी

सुधीर कुमार का कहना है कि सरकार का फैसला सही है। बेरोजगारी भत्ते के मिलने से अब प्रतियोगी परीक्षाओं  के लिए जिला से बाहर जाने में आर्थिक परेशानी नहीं आएगी। हिमाचली युवा काम करना चाहता है,उसे नए मौके मिलने चाहिएं।

आर्थिक मंदी हो सकेगी दूर

जिया लाल का कहना है कि सरकार का फैसला सही है। बेरोजगारी भत्ते के मिलने से गरीब परिवारों के पढ़ने वाले बच्चों को आर्थिक मंदी के कारण कालेज नहीं छोड़ना पड़ेगा। हालांकि सरकार को युवाओं को रोजगार के प्रति भी प्रेरित करना होगा।

स्कॉलरशिप की तर्ज पर मिले भत्ता

गणेश राणा का कहना है कि सरकार का फैसला सही है, लेकिन बेरोजगारी भत्ता जरूरतमंदों को ही मिलना चाहिए। स्कॉलरशिप की तर्ज पर इस भते का आबंटन करना चाहिए। भत्ते के साथ युवाओं में काम करने की भावना भी पैदा करनी चाहिए।


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