1000 रुपए : बेरोजगारी भत्ता नहीं, चुनावी लालच है
हिमाचल सरकार का 1000 रुपए बेरोजगारी भत्ता महज चुनावी लालच है। पिछले घोषणा पत्र में इसका वादा किया था, लेकिन दिया नहीं। बेहतर होता युवाओं को करने के प्रति प्रेरित किया जाता। बजट में प्रदेश सरकार की घोषणा पर ऐसी भी कई नौजवानों की प्रतिक्रिया। हालांकि कइयों ने सराहा भी…
बेरोजगारी भत्ता चुचानी स्टंट
ककीयां गांव के कृष्ण कुमार का कहना है कि सरकार का जमा दो पास को मासिक एक हजार और दिव्यांग को पंद्रह सौ रुपए बेरोजगारी भत्ता देने का फैसला चुनावी स्टंट ही दिख रहा है। सरकार को बेरोजगारी भत्ते की बजाय रोजगार को प्रमुखता देनी चाहिए।
बेरोजगारी भत्ता देना सही नहीं
अरविंद कुमार ने सरकार के बेरोजगारी भत्ते देने के फैसला पर सवाल उठाया है। अरविंद का कहना है कि बेरोजगार भत्ते को लेकर चार वर्ष तक कोई पहल नहीं हो पाई। अब चुनाव नजदीक आता देख सरकार लोक लुभावने फैसले लेने में जुट गई है।
एक हजार रुपए भत्ता छल
दयाकृष्ण ठाकुर का कहना है कि महंगाई के इस दौर में युवाओं को एक हजार रुपए मासिक भत्ता छलावा मात्र है। दयाकृष्ण का कहना है कि यह फैसला चुनावों में महज युवाओं के वोट हासिल करने से जुड़ता दिख रहा है।
युवाओं के साथ किया मजा
मनोज कुमार का कहना है कि बेरोजगारी भत्ते की तय राशि युवाओं के साथ मजाक है। मनोज कुमार का कहना है कि सरकार अगर युवाओं के लिए कुछ करना ही चाहती है तो सरकारी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध करवाए।
भत्ता नहीं, रोजगार दे सरकार
कपिल भारद्वाज का कहना है कि बेरोजगारी भत्ते की बजाय युवाओं के लिए सरकारी क्षेत्र में अधिक से अधिक रोजगार की संभावनाएं तलाशी जानी चाहिए। बेरोजगारी भत्ता की राशि महंगाई के दौर में ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।
सरकार का फैसला नहीं आया रास
हर्ष रैणा का कहना है कि पढ़ा-लिखा युवा सरकार से बेरोजगारी भत्ता नहीं रोजगार की आस रखता है। बेरोजगारी भत्ता युवाआें की कार्यकुशलता को प्रभावित करेगा। इसलिए सरकार को फैसले पर पुर्नविचार करना चाहिए
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