अलग हो वाइल्ड लाइफ कैडर
स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में जोरदार पैरवी
शिमला— सोमवार को स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक बैठक में सिफारिश की गई है कि वाइल्ड लाइफ विंग का कैडर रेंज आफिसर तक अलग तय किया जाए, ताकि हर दो या तीन साल के बाद अधिकारियों के तबादले से वाइल्ड लाइफ प्रबंधन पर प्रतिकूल असर न पड़े। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस बारे में गंभीरता से विचार करने के निर्देश दिए हैं। अभी तक वाइल्ड लाइफ विंग का अलग से कोई कैडर नहीं है। वन विभाग के ही तहत यह कार्यरत है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि दो साल के बाद बोर्ड की बैठक बुलाई गई है। लिहाजा यह सुनिश्चित करें कि हर छह महीने बाद इसकी बैठक आयोजित की जाए। पौंग में एडीबी की फंडिंग से जो रेस्ट हाउस तैयार किया गया है, उसे लेकर अरसे से विवाद था। मसलन, यहां पर्यटकों को ठहराया जाए या नहीं। इसे वन विभाग व पर्यटन विभाग अपने तहत लेने की भी कवायद में थे। सूत्रों के मुताबिक बैठक में तय हुआ है कि इस रेस्ट हाउस में कोई भी पर्यटक नहीं ठहराया जाएगा। यही नहीं चंबा की गमगुल सेंक्चुरी में सड़क को चौड़ा करने के मामले को संस्तुति करके नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को भेजा जा रहा है। कांगड़ा में एक बड़े माइनिंग प्रोजेक्ट को नामंजूर कर दिया गया है। संबंधित क्षेत्र में वन्य प्राणी अभयारण्य क्षेत्र आने से ऐसा कदम उठाया गया है।
पहले सब-कमेटी में रखा जाए एजेंडा
बताया जाता है कि मुख्य सचिव वीसी फारका ने निर्देश दिए हैं कि वाईल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में जो एजेंडा पेश किया जाता है, उससे पहले एजेंडे को सब कमेटी में रखा जाए और उसी के बाद सिफारिश मुख्य बैठक में पेश की जानी चाहिए। लिहाजा अब वाईल्ड लाइफ बोर्ड के ही तहत एक सब कमेटी का गठन किया जाएगा, जो 32 सदस्यीय बोर्ड की सिफारिशों पर गौर करेगा।
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