बिना प्रोमोशन ग्राउंड एप्पल ने तोड़ा दम

By: Apr 19th, 2017 12:05 am

रिकांगपिओ  – किन्नौर जिला के प्रगतिशील किसान एडवोकेट सत्यजीत नेगी ने भले ही अपने प्रयासों से किन्नौर जिला में ग्राउंड एप्पल की खेती कर लोगों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए अवसर प्रदान किया है, लेकिन सरकारी स्तर पर इस दिशा में कोई खास सहयोग नहीं मिल पाने पर यह तीन-चार वर्षों के बाद भी लोगों के लिए आर्थिकी का जरिया नहीं बन पा रहा है। करीब तीन-चार वर्ष पूर्व सत्यजीत नेगी ने अपने स्तर पर विदेश से ग्राउंड एप्पल का आयात कर इसे अपने खेत में सफलतापूर्वक तैयार किया था, जिसके बाद उन्होंने आम लोगों को भी इस दिशा में जागरूक करने के लिए नौणी यूनिवर्सिटी के उच्च अधिकारियों से मिले। यहां तक की प्रदेश के महामहिम राज्यपाल और मुख्यमंत्री से भी ग्राउंड एप्पल के बारे में चर्चा की। इस पर उन्होंने नौणी यूनिवर्सिटी से बात करने का आश्वासन दिया, लेकिन इसे प्रमोट करने के लिए इस दिशा में उन्हें सरकारी स्तर पर खासा सहयोग नहीं मिल पाया। श्री नेगी बताते हैं कि ग्राउंड एप्पल, जिसका बोटोनिकल नाम याकुन है, जिसकी कंटेंट वैल्यू नेट पर भी देखी जा सकती है। यह पेरू देश में काफी मात्रा में पाया जाता है। तीन-चार वर्ष पूर्व जैसे ही उन्हें ग्राउंड एप्पल की जानकारी मिली, उन्होंने अपने स्तर पर प्रयास कर उसे किन्नौर की जलवायु में तैयार करना शुरू किया। श्री नेगी बताते हैं कि मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्र में पाए जाने वाले ग्राउंड एप्पल, जहां पेरू देश में छह या सात महीने में तैयार होता है, वहीं यह किन्नौर की जलवायु में नौ या दस महीने में तैयार हो पा रहा है। सरकारी स्तर पर उन्हें इसके प्रोमोशन के लिए सहयोग नहीं मिल पाने के साथ-साथ यहां तैयार हो रहे इस ग्राउंड एप्पल की कंटेंट वैल्यू कितनी है इसकी भी पूरी जानकारी अब तक उन्हें नहीं मिल पाई है। उन्होंने बताया कि भूमि के अंदर तैयार होने वाले ग्राउंड एप्पल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यदि बागबान को इसे मार्केट में ले जाने में समय नहीं मिल पा रहा है या फिर सड़क-मार्गों के अवरुद्ध होने या किसी अन्य कारणों से फल मंडियों तक समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं तो इसे बिना हारवेस्टिंग किए दो-तीन महीने तक भूमि के अंदर ही सुरक्षित रखा जा सकता है। अपनी सहूलियत के अनुसार भी इसे दो-तीन महीने बाद भी भूमि के नीचे से निकाल कर मंडियोंं में पहुंचाया जा सकता है। सत्यजीत नेगी इस दिशा में पतंजलि योग पीठ के आचार्य बाल कृष्ण जी से भी मिल कर उनसे इस बारे में चर्चा कर चुके हैं। क्षेत्रीय बागबानी अनुसंधान केंद्र शारबो (किन्नौर) के प्रभारी व सह निदेशक डा. पंकज गुप्ता का कहना है कि इस बारे में सरकारी स्तर पर उन्हें कोई आदेश नहीं मिले हैं। अपने स्तर पर उन्होंने ग्राउंड एप्पल के कंटेंट जांचने के लिए पालमपुर-नौणी यूनिवर्सिटी भेजे गए हैं।


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