मां से मिली शूटिंग में करियर बनाने की सीख
अंजुम मोदगिल ने जमा दो तक की शिक्षा सेक्रेड हार्ट स्कूल चंडीगढ़ से प्राप्त की, जबकि डीएवी कालेज चंडीगढ़ से बीए व बाद में एमए साइकोलॉजी की डिग्री हासिल की। अंजुम ने अपनी मां की प्रेरणा से रायफल शूटिंग को करियर सपोर्ट के रूप में लिया। अंजुम ने कहा कि देश के लिए खेलना व पदक जीतना उसका लक्ष्य है। वह 2018 में होने वाली एशियन व कॉमनवैल्थ गेम्स के लिए तैयारी कर रही है। वहीं उसका फोकस 2020 ओलपिंक्स खेलों पर भी है। शुरू में तो उनके पिता व दादा जी ने वित्तीय सहायता कर प्रैक्टिस के लिए सहयोग किया। अब बंगलूर की एक कंपनी उन्हें प्रैक्टिस जारी रखने में मदद कर रही है।
असफलता से सीखती हूं और मेहनत से आगे बढ़ती हूं…
शूटिंग के प्रति आपके लगाव के प्रमुख तीन कारण?
व्यक्तिगत गेम होने के चलते इसे चुना। विश्व भर में शूटिंग मुकाबलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने का गौरव तथा इसके माध्यम से शारीरिक व मानसिक रूप से फिट रहना प्रमुख कारण रहे।
कैसे पता चला कि यही फील्ड आपके के लिए अति श्रेष्ठ होगी?
कंपीटीशन में भागीदारी कर व लगातार अभ्यास करने के बाद महसूस किया कि यह फील्ड मेरे लिए श्रेष्ठ रहेगी।
आपके लिए निशाने की परिभाषा किस तरह सरल हो जाती है?
व्यक्तिगत श्रेष्ठ प्रदर्शन करने व देश के लिए मेडल जीतने से।
प्रतिस्पर्धा में भाग लेते अंतिम समय में क्या याद रहता है या किस तरह एकाग्रता एक बिंदु पर ठहर जाती है?
कुछ विशेष नहीं,लेकिन जितनी भी मेहनत की होती है,उसी पर फोकस करना पड़ता है।
महिलाओं का शूटिंग में चमकना क्या साबित करता है?
इससे साबित होता है कि महिलाएं किसी से कम नहीं हैं, हर क्षेत्र में वह पुरुषों के बराबर हैं तथा अपना श्रेष्ठ साबित कर सकती हैं।
एक अच्छे शूटर के लिए तैयारी के क्या मायने हैं और इस समय आप किस तरह अपने इरादों को बुलंद कर रही हैं?
एक शूटर के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से फिट होना बहुत जरूरी है। एकाग्रता व ताकत बहुत होनी चाहिए। शारीरिक व तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त कर सफलता के लिए कार्य कर रही हूं।
पहली बार कब निशाना दागा और तब उम्र क्या रही?
15 साल की उम्र में 2008 में पहली बार एनसीसी में कैडेट के रूप में रायफल थामी व निशाना साधा।
कोई एक शख्स जिसने अंजुम का रास्ता व लक्ष्य बदल दिया?
जीवन में अलग-अलग लोगों से प्रेरणा लेते हुए इस मुकाम पर पहुंची हूं। मेरे माता-पिता, दादा जी व भाई ने पूरा सहयोग दिया, विशेषकर मेरी मां ने मुझे शूटिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इसके साथ एनसीसी आफिसर कर्नल महेंद्र सिंह चौहान से पूरी सपोर्ट मिली।
रायफल शूटिंग के अलावा किसी अन्य खेल में दिलचस्पी रही?
टेनिस खेल में रुचि है।
शूटिंग में आपके आदर्श और जीवन में?
मेरे माता-पिता।
कभी स्ट्रेस होता है या रायफल के कारण दिल और दिमाग भी दिलेर रहता है?
स्ट्रेस कंपीटिशन खराब जाने पर रहता है, पर कुछ सीखकर, मेहनत करके आगे की तैयारी करती हूं।
अपना मनोरंजन कैसे करती हैं। पसंदीदा एक्टर, गाना और घूमने की जगह?
पेंटिंग कर व टेनिस खेलकर मनोरंजन करती हूं।
अंजुम ने जो सबसे अधिक कठिनाई से हासिल किया?
महंगी गेम होने के चलते हमेशा दिक्कतें आईं। पेरेंट्स की सपोर्ट न मिलती तो शायद रायफल तक न खरीद पाती, जबकि प्रैक्टिस व ट्रेनिंग के अलावा ट्रैवलिंग के खर्चे भी खुद ही वहन करने पड़ते थे।
और जो सरलता से या बिना रायफल शूटिंग के मिला?
एक अच्छा परिवार।
- जितेंद्र कंवर, ऊना