अनुबंध कर्मचारियों के वारे-न्यारे

By: Apr 24th, 2017 12:07 am

NEWSबचन सिंह घटवाल

लेखक, मस्सल, कांगड़ा से हैं

कर्मचारी वर्ग से अगर सही काम लेना है, तो जरूरी है कि उसके वेतन-भत्तों का ख्याल रखा जाए। अगर कर्मी अपनी आर्थिक उलझनों में ही उलझा रहेगा, तो  वह अपना पूरा ध्यान अपने काम पर नहीं लगा पाएगा। सरकार ने बेशक देरी से यह फैसला लिया है, पर कर्मचारी वर्ग इससे बड़ी राहत महसूस कर रहा है…

परिवर्तन की राह में सरकारी कर्मचारियों के भविष्य को संवारने का क्रम जारी रखते हुए वर्तमान कांगे्रस सरकार का एक अहम निर्णय, जिसमें अनुबंध से आहत कर्मियों का अनुबंध कार्यकाल तीन वर्ष तक रखने का ऐतिहासिक कदम प्रदेश सरकार ने उठाया है। पहले यह अनुबंध कार्यकाल आठ वर्ष था, फिर सरकार ने इसे पांच वर्ष तक कर दिया और अब सरकार ने अनुबंध कार्यकाल को तीन वर्ष कर दिया है। अनुबंध के नाम पर होने वाले शोषण से कर्मचारी लंबे अरसे से परेशान थे, जिसकी समय सीमा घटने से कर्मचारियों को सुखद भविष्य के प्रति विश्वास और आशा जग गई है। अनुबंध के कारण युवाओं में सरकारी नौकरी के प्रति आकर्षण घटा था, पर सरकार के इस फसले ने युवाओं में सरकारी नौकरी के प्रति आकर्षण को बढ़ाया है। अनुबंध के दीर्घ कार्यकाल से छटपटाता अनुबंध कर्मी हिमाचल दिवस के मौके पर प्रदेश सरकार के सबसे बड़े तोहफे से गदगद हो गया है। अनुबंध में पांच वर्ष की जगह अब तीन वर्ष का अनुबंध काल कर्मियों के लिए एक दिव्य वरदान की तरह प्रतीत हो रहा है। इस तथ्य को झुठलाया नहीं जा सकता कि अनुबंध शब्द सरकारी महकमों में एक तीक्ष्ण शूल की चुभन का एहसास मात्र देने का कार्य करता रहा है। पहले सरकार नौकरी लगने पर युवा को यह पता होता था कि आठ साल तक उसे अनुबंध पर रखा गया है और उसे उस काम के लिए एक बंधा-बंधाया वेतन ही मिलेगा और वही काम करने वाला उसका सहयोगी, जो रगुलर है, वह मोटी तनख्वाह और भत्ते इत्यादि भी लेता था। इससे उसके मोराल पर भी फर्क पड़ता था और वह अपना पूरा ध्यान काम पर नहीं लगा पाता था। आठ साल निकालते -निकालते उसके सारे सपने मंद पड़ जाते थे। अब तीन साल का अनुबंध होने से उसके सपने इतनी जल्दी नहीं दम तोड़ेंगे। अनुबंध की पीड़ा को हरने का काम वर्तमान प्रदेश सरकार ने कर्मियों के बेहतर कल के निर्माण हेतु किया है। इसमें संदेह नहीं है कि अनुबंध कर्मियों के सफल संगठन व योग्य नेतृत्व का अभूतपूर्व प्रयास आज अनुबंध कर्मियों के सुखद भविष्य हेतु खुशियों का अंबार लेकर आया है। निःसंदेह इस सुखद प्रयास को अविस्मरणीय सुनहरी अक्षरों में लिखा जाएगा, जो कि एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। कर्मचारियों के मन की पीड़ा के एहसास को समझने वाली वर्तमान सरकार ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियों में चरणबद्ध तरीके से सभी प्रकार के कर्मचारियों के दुखों को निवारण करने का अभूतपूर्व कार्य किया है, जिससे कर्मचारी वर्ग सरकार के प्रति समर्पित व अपने बेहतर कार्य के प्रदर्शन के लिए भी उत्साहित नजर आएगा। बेशक अनुबंध कार्यकाल शनैः शनैः अपनी लंबी अवधि से सिमटता हुआ तीन वर्ष की अवधि तक सिमटा है, जो कि आशा की किरण के रूप में भविष्य में बिलकुल समाप्त ही हो जाएगा। इसके कयास लगने शुरू हो गए हैं। जहां सीमित स्रोतों से घर की गाड़ी को धकेलता हुआ अनुबंध कर्मी हताश सा था, उसमें इस अभूतपूर्व घोषणा ने नवगति व बेहतर कल के एहसास का अंकुर प्रस्फुटित कर दिया है। आज अनुबंध कर्मचारियों के अलावा वे कर्मचारी भी उत्साहित नजर आ रहे हैं, जो सरकारी महकमों में चाहे पार्ट टाइम कर्मी हों या आउटसोर्स से सरकारी सेवा में शामिल हुए हैं।

हर जन की दृष्टि में सुखद चमक का दृष्टिगत होना प्रदेश सरकार की नवनीति व उत्थान के कार्यों के स्वागत के प्रतीक हैं। आज सुनहरे भविष्य को तलाशते सरकारी सेवा की इच्छा पाले हिमाचल के चाहे बेरोजगार युवक-युवतियां हों या शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राएं, वे भी आशाओं के नवगुंजन में आशातीत परिवर्तन के सहभागी प्रतीत हो रहे हैं, क्योंकि रोजगार की दौड़भाग में रोजगार पाने पर लंबे अनुबंध काल के बजाय इस सीमित तीन वर्ष के अनुबंध का असर अवश्य आम जनमानस में भी सुकून की लौ जगाएगा। आज हिमाचल ही नहीं, बल्कि हर प्रदेश में निर्वाचित सरकारें अपने प्रदेश के नागरिकों के हित में कार्यरत उनकी आकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए प्रतिस्पर्धा में हैं। कल्याणकारी फैसलों का असर दूरगामी अवश्य होता है। हर व्यक्ति की चाह नौकरी पाना जरूर होता है। जब अनुबंध का कार्यकाल दीर्घगामी था, तब असंख्य व्यक्ति निराशा के जाल में उलझे हुए थे, परंतु यह नीतिगत बदलाव प्रदेश में उन्नति व खुशहाली का वाहक बनेगा। कर्मचारी वर्ग से अगर सही काम लेना है, तो जरूरी है कि उसके वेतन-भत्तों का ख्याल रखा जाए। अगर कर्मी अपनी आर्थिक उलझनों में ही उलझा रहेगा, तो  वह अपना पूरा ध्यान अपने काम पर नहीं लगा पाएगा। सरकार ने बेशक देरी से यह फैसला लिया है, पर कर्मचारी वर्ग इससे बड़ी राहत महसूस कर रहा है। सरकार की कुछ मजबूरियां रही होंगी, या बजट की कमी के कारण इस फैसले की देरी से घोषणा की गई, पर जो भी है सरकार ने हिमाचल दिवस पर दअपने कर्मचारियों को तोहफा दे दिया है। अब सरकार के कर्मचारियों का भी दायित्व बनता है कि वे अपने काम में निखार लाएं, सरकार की योजनाओं को बिना देरी किए आमजन तक पहुंचाएं। अगर सरकार ने अपने कर्मचारियों के बारे मेंसोचा है, तो कर्मचारियों को भी अपने काम से सरकार का सकारात्मक पक्ष पेश करना चाहिए।


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