अभिनय रूपहले पर्दे का करियर

By: Apr 19th, 2017 12:25 am

NEWSआज के जमाने में टीवी इंडस्ट्री, फिल्म इंडस्ट्री भारत की सबसे तेज ग्रोथ वाली इंडस्ट्री है। इसमें करियर बनाने के लिए कई ऑप्शंज होते हैं, जिनमें आगे बढ़ा जा सकता है। एक्टिंग में करियर बनाने वालों के लिए ढेरों अवसर हैं जैसे फिल्म, टेलीविजन, विज्ञापन फिल्में, प्रोडक्शन हाउस, वीडियो फिल्में वगैरह। बढ़ते टीवी चैनल्स और क्षेत्रीय फिल्मों ने एक्टिंग के क्षेत्र में करियर बनाने  वालों के लिए राहें आसान कर दी हैं…

NEWSअपने स्कूल-कालेज में अभिनय करने के दौरान लगभग सभी कभी न कभी एक्टिंग में करियर बनाने के बारे में सोचते हैं, लेकिन एक्टिंग में वही लोग सफल होते हैं, जो एक्टिंग किए बिना रह ही नहीं सकते। आज के जमाने में टीवी इंडस्ट्री, फिल्म इंडस्ट्री भारत की सबसे तेज ग्रोथ वाली इंडस्ट्री है। इसमें करियर बनाने के लिए कई ऑप्शंज होते हैं, जिनमें आगे बढ़ा जा सकता है। एक्टिंग में करियर बनाने वालों के लिए ढेरों अवसर हैं जैसे फिल्म, टेलीविजन, विज्ञापन फिल्में, प्रोडक्शन हाउस, वीडियो फिल्में वगैरह। बढ़ते टीवी चैनल्स और क्षेत्रीय फिल्मों ने एक्टिंग के क्षेत्र में करियर बनाने वालों के लिए राहें आसान कर दी हैं। दिल्ली, मुंबइ, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद जैसे शहरों में ढेरों काम हैं। भोजपुरी, तेलुगु,कन्नड़, बांग्ला व पंजाबी फिल्मों में भी काम की कमी नहीं है। एक्टिंग में रोमांच और लोकप्रियता के साथ-साथ तेजी से उन्नति करने के अपार मौके खुले हैं। एक बार अभिनय का जादू चल निकला तो शोहरत तथा दौलत की कमी नहीं रहती। कह सकते हैं कि एक्टिंग की फील्ड में करियर बनाने वालों के लिए शुभ संकेत हैं क्योंकि हर भाषा से संबंधित फिल्म उद्योग तेजी से फलफूल रहा है। आप भी एक्टिंग में करियर बना कर नाम और दाम कमा सकते हैं।

कैसे होगी एंट्री

अगर आप किसी फिल्म स्टार परिवार से नहीं आते हैं तो इसकी राह आपके लिए थोड़ी कठिन जरूर होगी, मगर नामुमकिन नहीं। इस समय मॉडलिंग और एक्टिंग एक दूसरे के काफी नजदीक हैं। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में ज्यादातर एक्टर मॉडल हैं या रह चुके हैं। एक्टिंग के बड़े मौकों की तलाश के बीच आप एंकरिंग, टीवी विज्ञापन, शो होस्टिंग, टीवी सीरियल में काम कर सकते हैं। फिल्म इंडस्ट्री में कई चीजें बदल चुकी हैं, वहां फिलहाल कई ऐसे बड़े एक्टर हैं जिन्होंने अपने दम पर सफलता हासिल की है।

योग्यता

एक कामयाब एक्टर बनने के लिए किसी विशेष स्कूली योग्यता की जरूरत नहीं होती, परंतु एक्टिंग का सही प्रशिक्षण लेना फायदेमंद रहता है। इसके लिए सरकारी संस्थानों के अलावा कई निजी संस्थानों से एक्टिंग में प्रशिक्षण लिया जा सकता है। संस्थान का चयन करते समय इस बात का जरूर ध्यान रखा जाना चाहिए कि वहां एक्टिंग का प्रशिक्षण देने वाले खुद एक्टिंग के बारे में कितना जानते हैं। फिल्म या टीवी से जुड़ा कोई व्यक्ति यदि संस्थान का संचालन कर रहा है, तो ऐसी जगह आपको एक्टिंग का बेहतर प्रशिक्षण मिल सकता है। वैसे एक्टिंग कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं पास या ग्रेजुएट होना चाहिए।

सकारात्मक पक्ष 

बढ़ रहे डेली सोप एवं फिल्म निर्माण से एक्टिंग में भविष्य सुनहरा है। खासकर कारपोरेट जगत के इस क्षेत्र में आने से गॉड फादर का तिलिस्म भी टूटा है। नए चेहरों को अभिनय क्षमता की बदौलत बेहतर काम मिल रहा है। एक अच्छी फिल्म और एक अच्छा निभाया हुआ किरदार रातोंरात सेलिब्रिटी बना देता है, जिसका ताजा उदाहरण सोनाक्षी सिन्हा, रणबीर सिंह के रूप में लिया जा सकता है। अभिनय के क्षेत्र में पैसे और शोहरत के साथ बड़े कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिलता है।

चुनौतियां भी कम नहीं

शूटिंग का टाइम शेड्यूल काफी थकाऊ और कष्टप्रद होता है। कलाकार को जोखिम भरे स्टंट, कष्टप्रद सीन्स और अनचाहे सीन्स के लिए भी खुद को तैयार करना होता है। फिल्म अथवा डेली सोप की सफलता व असफलता दर्शकों की पसंद पर निर्भर करती है, इसलिए इस क्षेत्र में करियर अनिश्चितताओं से भी भरा होता है। सफलता और असफलता, दोनों के लिए आपको तैयार रहना होगा।

वेतनमान

आमदनी की कोई सीमा नहीं है। अगर एक फिल्म, धारावाहिक या विज्ञापन फिल्म हिट हो गई, तो आप स्टार बन जाते हैं। वैसे इसमें सैलरी की बजाय कांट्रैक्ट पर काम मिलता है। हां, किसी नाटक कंपनी या टीचिंग जॉब कर के भी अच्छी कमाई कर सकते हैं।

क्या हों व्यक्तिगत गुण

NEWSअच्छा व्यक्तित्व, बेहतर अभिनय क्षमता, भाषा पर अच्छी पकड़, क्रिएटिविटी, पात्र के अनुरूप खुद को ढालना आदि गुणों का होना जरूरी है। जन्मजात गुणों के साथ प्रशिक्षण भी जरूरी है। अभिनय, सिनेमा व रंगमंच से जुड़ी सभी विधाओं को बारीकियों को सीखना व जानना। डांस, एक्शन, बॉडी लैंग्वेज, मूवमेंट की भली प्रकार जानकारी। डबिंग, स्पीच वेरिएशन, इंप्रोवाइजेशन, म्यूजिक और तमाम ऐसी चीजों की समझ होनी जरूरी है।

करियर बनाने के लिए कोर्सेज

इस क्षेत्र में पीजी डिप्लोमा इन एक्टिंग का दो वर्षीय कोर्स, डिप्लोमा इन एक्टिंग तीन साल का कोर्स, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन सिनेमा का तीन वर्षीय कोर्स और एक्टिंग फास्ट ट्रैक का छह महीने का कोर्स शामिल है। इन कोर्सेज के अलावा समय-समय पर कई वर्कशॉप भी आयोजित कराए जाते हैं, जिनमें एक्टिंग से संबंधित बेसिक गुर सिखाए जाते हैं। एक्टिंग सीखने के लिए थियेटर भी ज्वाइन कर सकते हैं। छोट-बड़े हर शहर में थियेटर लोकप्रिय हैं, वहां के संयोजक से संपर्क करके भी बेसिक जानकारी हासिल की जा सकती है।

काम का कोई समय नहीं

एक अभिनेता या अभिनेत्री का कार्य समय प्रोडक्शन हाउस तथा निर्माता-निर्देशक द्वारा तय किया जाता है। बावजूद इसके अभिनय का कोई निश्चित समय नहीं होता। अभिनय के लिए रात और दिन का कोई भी समय हो सकता है और शेड्य़ूल काफी टफ  रहता है।

कैसे बढ़ें आगे

अभिनय की दुनिया में आगे बढ़ने का सबसे मजबूत आधार है रंगमंच। इससे भी पहले जरूरी है कि किसी अच्छे एक्टिंग स्कूल में प्रवेश लेकर खुद को पूरी तरह तैयार करें। एक्टिंग स्कूल में अभिनय की बारीकियां सीखने और थियेटर करने से एक तरह का आत्मविश्वास भी मिलता है। आप रंगमंच पर काम करते हुए भी अपनी एक पहचान बनाने के साथ रोजगार पा सकते हैं। टेलीविजन और फिल्मों में जाना चाहते हैं, तो समय- समय पर ऑडिशन देते रहें। क्या पता कब कोई चुनौती भरा रोल मिले और रूपहले पर्देे का रास्ता आपके लिए खुल जाए। आपकी मेहनत के साथ किस्मत भी साथ निभाती है।

प्रमुख संस्थान

* फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीच्यूट ऑफ  इंडिया, पुणे

* इंडियन एकेडमी ऑफ  ड्रामेटिक आर्ट्स, नई दिल्ली

* सत्यजीत रे फिल्म इंस्टीच्यूट, कोलकाता

* नेशनल स्कूल ऑफ  ड्रामा, नई दिल्ली

* एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन, नोएडा

* दिल्ली फिल्म इंस्टीच्यूट, नई दिल्ली

* अनुपम खेर की एक्टर प्रिपेयर्स इंस्टीच्यूट

* सुभाष घई की व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल

मेहनत मागती है एक्टिंग

कंचन गुप्ता कास्टिंग डायरेक्टर एंड एक्टरेस

अभिनय में करियर से संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने कंचन गुप्ता से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश…

एक्टिंग को अकसर ग्लैमर से जोड़कर देखा जाता है इसमें करियर का क्या स्कोप है?

कंचन गुप्ताएक्टिंग को अकसर ग्लैमर से ही जोड़ कर देखा जाता है क्योंकि यहां हर चीज को खूबसूरती से पेश किया जाता है, लेकिन उस खूबसूरती के पीछे की मेहनत सामने नजर नहीं आती। यदि कोई मेहनत और लगन से अपने एक्टिंग के टेलेंट को निखारे, तो इस में करियर के बहुत स्कोप हैं? एक्टिंग का क्षेत्र आपको रातोंरात स्टार बना सकता है। इस बात से ही इस करियर के महत्त्व का अंदाजा लगाया जा सकता है।

जो युवा इस फील्ड में अपना करियर बनाना चाहते हैं उनके लिए कितना पढ़ा लिखा होना चाहिए?

पढ़ाई तो हर क्षेत्र के लिए बहुत जरूरी है, लेकिन कोई खास डिग्री लेकर कामयाबी मिल ही जाएगी, यह जरूरी नहीं है। दस जमा दो के बाद या फिर पढ़ाई के साथ-साथ भी इस क्षेत्र में तैयारी की जा सकती है। पढ़ाई के साथ-साथ यह बात भी मायने रखती है कि आपका एक्टिंग के प्रति जुनून कितना है। क्योंकि इस फील्ड में कंपीटीशन बहुत है, तो जरूरी है कि हर चीज में आपको माहिर होना चाहिए। शिक्षा ही नहीं ड्राइविंग, तैराकी और यहां तक कि घुड़सवारी करना भी आना चाहिए।

एक्टिंग में भविष्य तलाश रहे युवा में क्या व्यक्तिगत गुण होने चाहिए?

मेहनत, सब्र, दृढ़, निश्चय के साथ ही सीखते रहने का गुण होना बहुत जरूरी है। सफलता को पचाने और असफलता को सहन करने का माद्दा भी होना चाहिए। कई बार असफलताएं पीछा नहीं छोड़तीं, तो मैदान में डटे रहने का गुण भी युवाओं में होना चाहिए।

एक्टिंग में माहिर होने पर रोजगार के अवसर किन क्षेत्रों में उपलब्ध हैं?

एक्टिंग में माहिर हो जाने पर भी इम्तिहान यानी ऑडिशन तो देते ही रहना पड़ता है। एक्टिंग का कार्यक्षेत्र बहुत विशाल है। कई क्षेत्रों में रोजगार के विकल्प हैं। फिल्म, सीरियल, एडवर्टाइजमेंट और थियेटर जैसे कई क्षेत्रों में कामयाबी पाई जा सकती है। छोटे- छोटे कदमों से आगे बढ़ोगे, तो सफलता निश्चित रूप से मिलेगी। जहां भी काम मिले उसे करते जाओ, इससे आपके अनुभवों में इजाफा ही होगा। एकदम बड़ा करने के चक्कर में आप कुछ भी नहीं कर पाओगे।

आमदनी इस फील्ड में कितनी होती है?

आमदनी एक्टर और प्रोजेक्ट पर निर्भर करती है। आमदनी 1000 रुपए प्रति दिन से लेकर एक लाख रुपए प्रतिदिन की भी हो सकती है। निर्भर करता है कि आप कितने स्थापित हैं या आपका कितना नाम है। एक्टिंग के क्षेत्र में कमाई की कोई कमी नहीं है। आपमें टेलेंट कितना है, सब उस पर निर्भर करता है।

इस क्षेत्र की क्या चुनौतियां है?

इस क्षेत्रा में सबसे बड़ी चुनौती तो प्रतिस्पर्धा की ही है। वैसे प्रतिस्पर्धा तो हर फील्ड में ही है, पर यह फील्ड ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। आपको दर्शकों के दिलों को जीतना होता है। कभी-कभी असफलता भी हाथ लगती है, तो उससे घबराने के बजाय धैर्य से काम लें। एक चुनौती और, वो यह कि इस क्षेत्र में काम का कोई समय नहीं और कोई शेड्यूल नहीं होता, अपने को उसके अनुसार ही ढालना होता है।

जो युवा इस फील्ड में आना चाहते हैं,उनके लिए कोई प्ररेणा संदेश दें?

जो युवा इस फील्ड में आने के इच्छुक हैं उनके लिए यही संदेश है कि वे इस फील्ड की चमक-दमक ही न देखें बल्कि इस क्षेत्र में मेहनत की तरफ भी ध्यान दें। यह फील्ड मेहनत मांगता है और इस क्षेत्र में कामयाब होने का यही मूलमंत्र हैं। कोई भी एक दिन में स्टार नहीं बनता, समय लगता है।

– पंकज सूद ,मटौर

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